कविता 'तजुर्बात-ओ-हवादिस' का कामरेड बलराम तिमल्सिना ने नेपाली भाषा में अनुवाद किया है!
अनुभव !
चिजहरूलाई
निकै राम्रोसँग
ब्यबस्थित गरियो ।
तर कुन कुरा कहाँ राखियो भनेर
संझना नै भएन ।
परिणामत:
जब कुनै कुरा खोज्नु पर्यो ,
सबै कुरा पहिलेभन्दा अव्यवस्थित भैदिए ।
बिचारको प्रश्नमा पनि
यस खाले दुर्घटनाहरू
कैयन पटक हुने गर्दछन् ।
*
धेरै खाले पुराना चिज निकालें
अनि कवाडीलाई बेच्न भनेर
ढोकामा त्यसको थुप्रो लगाएँ ।
फेरि सोचें -
यो थुप्रोमा
कुनै बेला खाचै पर्ने
केही चिजहरू पनि होलान कि ।
थुप्रालाई केही समय खोतल खातल पारें
अनि धेरै जसो कुरालाई
फेरि लगेर राखें ।
संझनाको वारेमा पनि
कैयन पटक यस्तै हुन्छ ।
*
घण्टौं दिक्क भएर
केही खोजिरहें
यति तल्लीन भएर कि
के खोजिरहेकी थिएँ भनेरै बिर्सें ।
कैयन पटक देखिएका सपनाहरू
यसै गरी बिर्सिन पुग्छन्
अनि लाख प्रयत्न गर्दा पनि
मरे संझना हुदैनन् ।
यति मात्रै संझना हुन्छ कि
कुनै आत्मीय लाग्ने सपना देखिएको थियो ।
*
बाकसमा
कुनै वर्षौं पुरानो डायरी भेटिन्छ
एकदमै भावुकतापूर्ण तथा मुर्खतापूर्ण
लिखतहरूले भरिएका
अनि कुनै समय
म यति मुर्ख पनि थिएँ भनेर
आश्चर्य लाग्छ ।
हरेक केही वर्षपछि
केही वर्ष अघिसम्म
म कति मूर्ख थिएँ भन्ने
तपाईलाई लाग्ने गर्छ
प्रेमको वारेमा पनि
कैयन पटक यस्तै हुन्छ ।
*
वाल्यकालका धेरै कुराहरू
जहाँ वाल्यकाल बित्यो
त्यही पुर्ख्यौली घरको अँध्यारोमा
धेरै दिनसम्म राखिरहें ।
जवानीमा ठर ठेगान फेरिइरह्यो ।
जवानीले कहिलै पनि
आफ्नो स्मृति छोड्दैन ।
धेरै जसो कुराहरू
सँगै बोकेर हिडिन्छ
अनि जे कुरालाई छोडिन्छ
त्यसलाई सँधैको लागि बिर्सिन्छ ।
*
जुन यात्राको लागि
लामो समयदेखि योजना बनाइरहें
त्यो यात्रामा निस्कन सकिएन ।
अप्रत्याशित
अपरिचित प्रदेशहरूको यात्राहरूमा
प्राय जानु परिरह्यो ।
जिन्दगी
यदि नियममा बाँधिएको छैन भने
यस्तो भै नै हाल्छ
*
अनि
जिन्दगीमा
कैयन पटक यस्तो पनि भैदिन्छ कि
एक थोक खोजिएको हुन्छ
अर्थोकै केही भेटिने गर्छ ।
Kavita Krishnapallavi
मूल कविता:
तजुर्बात-ओ-हवादिस
चीज़ों को बहुत करीने और सलीके से
व्यवस्थित किया I
पर याद नहीं रहा कि
कौन सी चीज़ कहाँ रखी है I
नतीजतन, जैसे ही कोई चीज़
ढूँढ़नी पड़ी,
सबकुछ पहले से भी अधिक
अव्यवस्थित हो गया I
विचारों के साथ भी ऐसी दुर्घटनाएँ
कई बार हो ही जाया करती हैं I
*
बहुत सारी पुरानी चीज़ें निकालीं
और दरवाज़े पर उनकी ढेरी लगायी
कबाड़ी को बेचने के लिए I
फिर सोचा, इनमें शायद
कुछ ऐसी भी चीज़ें हों
जिनकी कभी ज़रूरत पड़ जाये I
ढेरी को उलटा-पलटा कुछ देर
और ज़्यादातर चीज़ों को
वापस रख लिया I
स्मृतियों के साथ भी
कई बार ऐसा ही होता है I
*
घण्टों परेशान होकर
कुछ ढूँढ़ती रही
इतना तल्लीन होकर कि
भूल ही गयी कि
क्या ढूँढ़ रही थी I
कई बार देखे गये सपने
इसीतरह भूल जाते हैं
और लाख याद करने पर भी
याद नहीं आते I
बस इतना याद आता है कि
कोई आत्मीय सा सपना देखा था I
*
बक्से से कोई बरसों पुरानी
डायरी मिलती है
बेहद भावुकतापूर्ण और मूर्खतापूर्ण
इंदराजों से भरी हुई और
आश्चर्य होता है कि कभी मैं
इतनी मूर्ख हुआ करती थी I
हर कुछ वर्षों बाद
आपको लगता है कि
कुछ वर्षों पहले तक
आप कितने मूर्ख हुआ करते थे I
प्यार के बारे में भी
कई बार ऐसा ही होता है I
*
बचपन की बहुत सारी चीज़ें
उस पुश्तैनी घर के अँधेरे में
बहुत दिनों तक रखी रहीं
जहाँ बचपन के दिन बीते I
नौजवानी में बदलते रहे ठिकाने I
नौजवानी कहीं भी
अपनी स्मृतियाँ नहीं छोड़ती I
ज़्यादातर चीज़ें साथ लिए चलती है
और जिन्हें छोड़ देती है
उन्हें भुला देती है
हमेशा के लिए I
*
जिन यात्राओं की लंबे समय से
योजना बनाती रही
उन यात्राओं पर निकलना
न हो सका I
अप्रत्याशित
अपरिचित प्रदेशों की
यात्राओं पर अक्सर
जाना होता रहा I
ज़िन्दगी अगर लीक से
बँधी न हो
तो ऐसा होता ही है I
*
और ऐसा भी होता है कई बार
ज़िन्दगी के साथ कि
कुछ और खोजते हुए
कुछ और मिल जाया करता है I
**
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