Sunday, November 27, 2022

'तजुर्बात-ओ-हवादिस'


 

कविता 'तजुर्बात-ओ-हवादिस' का कामरेड बलराम तिमल्सिना ने नेपाली भाषा में अनुवाद किया है! 

अनुभव !

चिजहरूलाई 

निकै राम्रोसँग 

ब्यबस्थित गरियो ।

तर कुन कुरा कहाँ राखियो भनेर

संझना नै भएन ।

परिणामत:

जब कुनै कुरा खोज्नु पर्यो ,

सबै कुरा पहिलेभन्दा अव्यवस्थित भैदिए ।

बिचारको प्रश्नमा पनि 

यस खाले दुर्घटनाहरू 

कैयन पटक हुने गर्दछन् ।

*

धेरै खाले पुराना चिज निकालें

अनि कवाडीलाई बेच्न भनेर

ढोकामा त्यसको थुप्रो लगाएँ ।

फेरि सोचें -

यो थुप्रोमा 

कुनै बेला खाचै पर्ने 

केही चिजहरू पनि होलान कि ।

थुप्रालाई केही समय खोतल खातल पारें 

अनि धेरै जसो कुरालाई 

फेरि लगेर राखें ।

संझनाको वारेमा पनि 

कैयन पटक यस्तै हुन्छ ।

*

घण्टौं‌ दिक्क भएर

केही खोजिरहें

यति तल्लीन भएर कि

के खोजिरहेकी थिएँ भनेरै बिर्सें ।

कैयन पटक देखिएका सपनाहरू 

यसै गरी बिर्सिन पुग्छन् 

अनि लाख प्रयत्न गर्दा पनि 

मरे संझना हुदैनन्‌ ।

यति मात्रै संझना हुन्छ कि 

कुनै आत्मीय लाग्ने सपना देखिएको थियो ।

*

बाकसमा 

कुनै वर्षौं पुरानो डायरी भेटिन्छ

एकदमै भावुकतापूर्ण तथा मुर्खतापूर्ण 

लिखतहरूले भरिएका 

अनि कुनै समय 

म यति मुर्ख पनि थिएँ भनेर

आश्चर्य लाग्छ ।

हरेक केही वर्षपछि 

केही वर्ष अघिसम्म 

म कति मूर्ख थिएँ भन्ने 

तपाईलाई लाग्ने गर्छ 

प्रेमको वारेमा‌ पनि 

कैयन पटक यस्तै हुन्छ ।

*

वाल्यकालका‌ धेरै कुराहरू 

जहाँ वाल्यकाल बित्यो

त्यही पुर्ख्यौली घरको अँध्यारोमा‌ 

धेरै दिनसम्म राखिरहें ।

जवानीमा‌ ठर ठेगान फेरिइरह्यो ।

जवानीले कहिलै पनि 

आफ्नो स्मृति छोड्दैन ।

धेरै जसो कुराहरू 

सँगै बोकेर हिडिन्छ 

अनि जे कुरालाई छोडिन्छ 

त्यसलाई सँधैको लागि बिर्सिन्छ ।

*

जुन यात्राको लागि 

लामो समयदेखि योजना बनाइरहें

त्यो यात्रामा‌ निस्कन सकिएन ।

अप्रत्याशित 

अपरिचित प्रदेशहरूको यात्राहरूमा‌

प्राय जानु परिरह्यो ।

जिन्दगी 

यदि नियममा बाँधिएको  छैन भने

यस्तो भै नै हाल्छ 

*

अनि

जिन्दगीमा‌ 

कैयन पटक यस्तो पनि भैदिन्छ कि 

एक थोक खोजिएको हुन्छ

अर्थोकै केही भेटिने गर्छ ।

Kavita Krishnapallavi

मूल कविता:

तजुर्बात-ओ-हवादिस

चीज़ों को बहुत करीने और सलीके से

व्यवस्थित किया I

पर याद नहीं रहा कि 

कौन सी चीज़ कहाँ रखी है I

नतीजतन, जैसे ही कोई चीज़

ढूँढ़नी पड़ी, 

सबकुछ पहले से भी अधिक

अव्यवस्थित हो गया I

विचारों के साथ भी ऐसी दुर्घटनाएँ

कई बार हो ही जाया करती हैं I

*

बहुत सारी पुरानी चीज़ें निकालीं

और दरवाज़े पर उनकी ढेरी लगायी

कबाड़ी को बेचने के लिए I

फिर सोचा, इनमें शायद

कुछ ऐसी भी चीज़ें हों

जिनकी कभी ज़रूरत पड़ जाये I

ढेरी को उलटा-पलटा कुछ देर

और ज़्यादातर चीज़ों को

वापस रख लिया I

स्मृतियों के साथ भी 

कई बार ऐसा ही होता है I

*

घण्टों परेशान होकर

कुछ ढूँढ़ती रही

इतना तल्लीन होकर कि

भूल ही गयी कि

क्या ढूँढ़ रही थी I

कई बार देखे गये सपने

इसीतरह भूल जाते हैं

और लाख याद करने पर भी

याद नहीं आते I

बस इतना याद आता है कि

कोई आत्मीय सा सपना देखा था I

*

बक्से से कोई बरसों पुरानी

डायरी मिलती है

बेहद भावुकतापूर्ण और मूर्खतापूर्ण

इंदराजों से भरी हुई और

आश्चर्य होता है कि कभी मैं

इतनी मूर्ख हुआ करती थी I

हर कुछ वर्षों बाद 

आपको लगता है कि

कुछ वर्षों पहले तक

आप कितने मूर्ख हुआ करते थे I

प्यार के बारे में भी

कई बार ऐसा ही होता है I

*

बचपन की बहुत सारी चीज़ें

उस पुश्तैनी घर के अँधेरे में 

बहुत दिनों तक रखी रहीं

जहाँ बचपन के दिन बीते I

नौजवानी में बदलते रहे ठिकाने I

नौजवानी कहीं भी 

अपनी स्मृतियाँ नहीं छोड़ती I

ज़्यादातर चीज़ें साथ लिए चलती है

और जिन्हें छोड़ देती है

उन्हें भुला देती है

हमेशा के लिए I

*

जिन यात्राओं की लंबे समय से

योजना बनाती रही

उन यात्राओं पर निकलना

न हो सका I

अप्रत्याशित 

अपरिचित प्रदेशों की 

यात्राओं पर अक्सर

जाना होता रहा I

ज़िन्दगी अगर लीक से

बँधी न हो

तो ऐसा होता ही है I

*

और ऐसा भी होता है कई बार

ज़िन्दगी के साथ कि

कुछ और खोजते  हुए

कुछ और मिल जाया करता है I

**


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