Saturday, November 26, 2022


'मेरा नाम अपनी मित्र-सूची से काट दें भाई' का कामरेड बलराम तिमल्सिना ने नेपाली भाषा में अनुवाद किया है! अनुवाद के नीचे मूल कविता भी दी हुई है!

मेरो नाम आफ्नो मित्र-सूचीबाट काटिदेऊ ,भाई !

***************

माफ गर भाई ! 

म तपाईको पार्टीमा भोलि आउन सक्दिन ।

तीन चार घण्टा दाँत ङिच्याउन 

अनि विना कारण 

हि-हि-हि-हि गरेर बस्नाले

च्यापु दुख्न थाछ 

अनि दुई दिनसम्म 

आफ्नै अनुहार खुस्कट जस्तो लाग्न थाल्छ ।

अनि, फेरि मसँग 

सुनाउनका लागि 

सान्ता-बान्ता खाले 

चुटकिला‌ हुनु त कता हो कता 

तिनलाई सुन्दा मलाई वाकवाकी लाग्छ ।

ठट्टा मजा त मलाई‌ आउदै आउदैन 

त्यस्ता महफिलहरूमा 

नारीहरूबाट जुन नखरा 

अनि हाउभाउको अपेक्षा गरिन्छ

त्यो देखेर नलाई घिन लाग्छ ।

*

मेरो असामाजिकताको लागि

मलाई माफ गर मेरो भाइ !

जति बेला  बाहिर 

उन्माद,आतङ्क र हत्याको वर्षा भैरहेको हुन्छ

त्यति नै बेला 

" आर्ट अफ लिभिङ्ग",

विपश्यना तथा सूफी सङ्गीतको वारेमा 

घण्टौं  बतुराउनु , हाँसि मजाक गर्नु 

र केवल‌ गफ गर्नु 

मलाई हद दर्जाको असभ्य र अश्लिल लाग्छ ।

*

यस्तो पनि होइन कि 

मसँग कुनै सुन्दर सपना 

मनमौजी मौसम 

र प्रेमको वारेमा‌ कुनै कुरै छैनन्‌,

तर ,ती विषयमा 

म तपाईहरू जसरी सोच्न सक्दिन 

न त स्कचको चुस्कीसँग गफ लडाउन सक्छु !

यी विषयमा‌ कुरा गर्नुभन्दा पहिले

म तपाईहरूका 

सम्भ्रान्त,प्रवुध्द ,धर्मनिरपेक्ष 

तथा प्रगतिशीलता भएको दावी गर्ने मण्डलीमा

सडक कब्जा गरेर बसेका हत्यारा यथार्थ 

र मनुष्यताको दुस्वप्नको वारेमा

केही कुरा गर्न चाहन्छु ।

तर त्यसो गर्दा 

तपाईको पार्टी नरमाइलो हुनेछ भन्ने

म बुझ्दछु 

*

ब्रेष्टले भनेका‌ थिए ,

'ऊ  जो हाँसिरहेको‌ छ 

ऊसम्म‌  नराम्रो समचार अहिलेसम्म  पुगेको‌ छैन  !'

तर जो  एकदमै खराव समाचारका बीच पनि

आफ्नो लागि तनाव-मुक्ति 

र आनन्दको केही क्षण खोजिरहेका छन्‌

ती , कि त जलिरहेको जहाजमा‌ बसेर 

उत्सव मनाइरहेका‌ खुस्कट हुन ,

या त हत्याराहरूसँग 

उनीहरूको केही साँठगाँठ छ 

या त मौका आउने बित्तिकै 

उनीहरूका खुट्टामा‌ पसारिनका‌‌ लागि तयार छन्‌ !

*

तपाई भन्नु हुन्छ 

" बीच बीचमा‌ केही तनाव कम‌ गर्नू 

र चिन्ता कम‌ गर्नु पनि जरुरी हुन्छ !"

मान्छु भाइ ,

तर म त्यो काम‌

जति बेला मौका पर्छ 

त्यति बेला 

कहीं जङ्गल-पहाड

या मरुभूमिमा बरालिदै 

या कहीं समुद्र तटमा ढल्किएर 

आफ्नो मन परेको सङ्गीत सुन्दै गर्छु ।

समृध्दि, सुविधा र सुरक्षाको

रोगी घना अँध्यारोमा  

कामुकता तथा छद्म-बौध्दिकताको 

खुराकमा बाँच्नेहरू 

खोक्रा तथा एक्ला मान्छेहरूका बीच

मुखुण्डो लगाएर 

कुनै कल्पनामा बाँच्ने र खुसी हुने फोहोरी खेल

मेरोलागि सहन नसक्ने हुन्छ !

*

तपाई नराम्रो नमानिकन 

मेरो वाध्यता भनेर बुझ्नु होला 

मेरो प्रस्टताको लागि 

मलाई माफ गर्नु होला 

अनि अब आइन्दा आफ्नो महफिलहरूमा‌

मलाई आमन्त्रण नगर्नु होला 

**--**

©Kavita Krishnapallavi

अनु: बलराम तिमल्सिना

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मूल कविता :

मेरा नाम अपनी मित्र-सूची से काट दें, भाई !


माफ़ करें भाई ! मैं आपकी पार्टी में कल नहीं  आ सकती I

तीन-चार घंटे यूँ ही दांत चियारने और बिलावजह खें-खें-खें-खें करते रहने से 

जबड़े दर्द करने लगते हैं और दो दिनों तक 

अपनी ही शक्ल बकाटू जैसी लगती रहती है I

और फिर मेरे पास सुनाने के लिए संता-बंता टाइप कोई चुटकुला होना तो दूर

उन्हें सुनकर मुझे मतली आने लगती है I

ठिठोली मुझे आती नहीं और ऐसी महफिलों में स्त्रियों से जिन नखरों 

और अदाओं की अपेक्षा की जाती है उनसे मुझे घिन आती है I

*

मेरी असामाजिकता के लिए मुझे माफ़ करें मेरे भाई !

उन्माद और आतंक और हत्याओं की जब बाहर बारिश हो रही हो 

तो 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' और विपश्यना और सूफी संगीत के बारे में 

घंटों बातें करना और ठिठोलियाँ करना 

और बस यूँ ही चेमगोइयाँ करना 

मुझे हद दरज़े तक फूहड़ और अश्लील लगता है I

*

ऐसा नहीं कि मेरे पास कुछ अच्छे सपनों 

और ख़ुशगवार मौसम और 

प्यार के बारे में कुछ बातें नहीं हैं, 

पर इनपर मैं आपलोगों की तरह न सोच पाती हूँ 

और न बातें कर पाती हूँ स्कॉच की चुस्कियों के साथ !

इनपर बात करने से पहले मैं आपकी संभ्रांत, प्रबुद्ध, सेक्युलर 

और प्रगतिशील होने का दावा करने वाली मंडली में 

सडकों पर क़ब्ज़ा जमाये हत्यारे यथार्थ और मनुष्यता के 

दुस्वप्नों के बारे में कुछ बातें करना चाहती हूँ 

पर इससे आपकी पार्टी बदमज़ा हो जायेगी, मैं जानती हूँ I

*

ब्रेष्ट ने कहा था,'वह जो हँस रहा है 

उसतक बुरी खबर अभी पहुँची नहीं है !'

लेकिन जो बेहद बुरी खबरों के बीच भी अपने लिए 

तनाव-मुक्ति और आनंद के कुछ क्षण खोज रहे हैं 

वे या तो जलते हुए जहाज़ पर जश्न मना रहे पागल हैं,

या फिर हत्यारों से उनकी कोई साठगाँठ है 

या फिर वक़्त आने पर वे उनके चरणों में लोट जाने के लिए तैयार हैं !

*

आप कहते हैं,'बीच-बीच में कुछ तनाव ढीला कर लेना 

और गम गलत कर लेना भी ज़रूरी होता है !'

मानती हूँ भाई, पर मैं यह काम 

कहीं जंगलों-पहाड़ों-रेगिस्तानों में भटकते हुए,

या कहीं समुद्र-तट पर लेटे हुए अपना मनपसंद 

संगीत सुनते हुए करती हूँ, 

जब भी कोई मौक़ा हाथ आता है I

समृद्धि, सुविधा और सुरक्षा के बीमार नीम-अँधेरे में 

कामुकता और छद्म-बौद्धिकता के नशे की ख़ुराक पर जीने वाले   

खोखले और अकेले लोगों के बीच 

मुखौटे लगाकर किसी फंतासी में जीने का 

और खुश होने का गंदा खेल 

मेरे लिए असहनीय होता है !

*

आप बुरा न मानकर मेरी मज़बूरी समझिएगा 

मेरी साफ़गोई के लिए मुझे माफ़ कीजियेगा 

और आगे से अपनी महफिलों में मुझे 

आमंत्रित मत कीजियेगा !

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