Saturday, September 11, 2021

व्यवहार में विनम्रता सहृदय और जनवादी होने की बुनियादी निशानी है। लेकिन विचारों और आलोचना में विनम्रता छल है, मक्कारी है, धूर्त किस्म की समझौतापरस्ती है। 

सभी सच्चे और ईमानदार लोग खरी बातों और आलोचनाओं का तहेदिल से स्वागत करते हैं।

गुटबाज़, व्यक्तिवादी, घमण्डी और कैरियरवादी छद्म-विद्वान वस्तुपरक वैज्ञानिक आलोचना को भी अपने ऊपर हमले के रूप में लेते हैं। आप अगर कोई ऐसी तर्कसंगत, विज्ञानसम्मत बात कहें जो उनके हितों या पूर्वाग्रहों के विपरीत हो तो वे आपको गाली देने लगते हैं, आपके ख़िलाफ़ गुटबाज़ी, कुत्साप्रचार और घटिया लोगों के साथ मिलकर षड्यंत्र करने लग जाते हैं, या फिर पूआ जैसा गाल फुलाकर कोने में मुँह करके बैठ जाते हैं।

ठकुरसुहाती बतियाने और पसंद करने वाले लोग परले दर्जे के कूपमंडूक और तर्कणा-विरोधी लोग होते हैं।

 बौद्धिक, तार्किक और प्रबुद्ध माहौल बनाने की कोई कोशिश जब भी कभी शुरू होती है, उसके ख़िलाफ़ तमाम कुण्ठित कूपमण्डूकों, अकर्मण्य परजीवियों और टुच्चे प्राणियों का गुप्त या अघोषित संयुक्त मोर्चा तुरंत बन जाता है। ऐसे लोग कृतघ्न तो होते ही हैं, कुत्ते की पूँछ की तरह होते हैं जो दस बरस नली में रखने पर भी सीधी नहीं होती।

11 Sept 2021

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