Saturday, August 14, 2021

कुछ बिंदु-बिंदु विचार

 

कुछ बिंदु-बिंदु विचार

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कोई जनद्रोही या फासिस्ट सत्ता अगर किसी व्यक्ति को राजद्रोही क़रार देती है तो यह उसके लिए गौरव की बात है ।

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भ्रष्ट न्यायपालिका अगर किसी को अपनी अवमानना का दोषी ठहराती है तो यह उस व्यक्ति के लिए सम्मान की बात है ।

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अगर कोई विद्वान हत्यारों के दरबार में हाजिरी लगाता है और धनपशुओं के फेंके हुए सोने के सिक्के लूटता है तो मौक़ा मिलते ही उसके पिछवाड़े दो-चार लात जमा देना एक अच्छे नागरिक का कर्तव्य होता है।

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अगर कोई व्यभिचारी, अय्याश, सत्ता का चाकर बुद्धिजीवी का चोला पहनकर, इधर-उधर से कापी-पेस्ट करके ग्रंथ लिखता रहता है और मार्क्सवाद पर भाषण दागता रहता है तो जब भी मौक़ा मिले, उसे सरे-आम नंगा करना समाज-सेवा का एक ज़रूरी काम होता है।

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एनजीओ के टुकड़खोर सुधारवादियों और प्रतीकवादी-अनुष्ठानवादी चोंचलेबाज़  "आन्दोलनकारियों" को गाली देते रहना ही नवयुग का "पवित्र मंत्रोच्चार" है।

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अगर आपको सभी सोशल डेमोक्रेट्स और बुर्जुआ लिबरल्स की बातों से भयंकर  बदबू नहीं आती तो आपकी घ्राणशक्ति पर लिबरल वायरस का आक्रमण हो चुका है! समय रहते इलाज शुरू कर दीजिए।

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अगर कोई नौजवान सिर्फ़ सोशल मीडिया पर मार्क्सवाद की विद्वत्तापूर्ण बातों का सिद्धांत-चर्वण करता रहता है और  ठोस ज़मीन पर आम लोगों के बीच कुछ नहीं करता तो वह एक बौद्धिक ठग है, महान सिद्धांत का चमकीला लेबल लगाकर नक़ली माल बेचने वाला मक्कार खोमचेवाला है । वह सबसे नीच कोटि का कैरियरवादी है। ऐसे लोगों को पहचानने के बाद भी अगर आप इनसे नफ़रत नहीं करते और दूरी नहीं बरतते तो आप एक उदारतावादी लबड़धोंधो और भकचोन्हर हैं।

14 Aug 2021

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