बेंजामिन फ्रैंकलिन के कुछ चुनिंदा 'वन लाइनर्स':
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तैयारी में नाकामयाब होने का मतलब होता है नाकामयाब होने की तैयारी करना।
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कुछ लोग पच्चीस की उम्र में मर जाते हैं और पचहत्तर की उम्र तक दफ़नाये नहीं जाते।
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जहाँ आज़ादी है, वही मेरा देश है।
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आराम की ज़िन्दगी और काहिली की ज़िन्दगी दो चीज़ें हैं। क़ब्र में सोने के लिए बहुत वक़्त मिलेगा।
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अपने में लिपटा हुआ आदमी एक बेहद छोटी-सी गठरी मात्र होता है।
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तुम देर कर सकते हो, लेकिन वक़्त देर नहीं करता।
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जब तुम्हारा बदलना ख़त्म हो जाता है, तुम ख़त्म हो जाते हो।
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वह जो बहाने बनाने में माहिर होता है, शायद ही किसी और काम में माहिर होता हो।
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ज़िन्दगी की ट्रैजे़डी यह है कि हम बूढ़े बहुत जल्दी हो जाते हैं और समझदार बहुत देर से।
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अज्ञानी होना शर्म की बात नहीं है, सीखने का इच्छुक न होना शर्म की बात है।
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मुझे बताओगे, मैं भूल जाऊँगा। मुझे पढ़ाओगे, मैं याद कर लूँगा। मुझे शामिल करोगे, मैं समझूँगा।
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वह, जो महज़ उम्मीदों पर ज़िन्दा है, भूखों मरेगा।
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जो चीज़ गुस्से से शुरू होती है, शर्म पर जाकर ख़त्म होती है।
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कुछ ऐसा लिखो जो पढ़ने लायक हो, या कुछ ऐसा करो जो लिखने लायक हो।
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अच्छी साख के लिए बहुत सारे अच्छे काम करने पड़ते हैं, और उसे खो देने के लिए सिर्फ़ एक बुरा काम।
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वे लोग जो थोड़ी-सी, अस्थाई सुरक्षा पाने के लिए अपनी बुनियादी आज़ादी को छोड़ देते हैं, वे न तो आज़ादी के हक़दार होते हैं, न ही सुरक्षा के।
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काम करने वाला एक ख़ुश आदमी होता है। काहिल आदमी दयनीय होता है।
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जो ख़ुद को ही प्यार करने लगता है, उसका कोई प्रतिस्पर्धी नहीं होता।
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चालबाजी और छल-कपट मूर्खों के काम होते हैं। उनके पास ईमानदार होने लायक दिमाग़ ही नहीं होता।
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तजु़र्बा एक मँहगा स्कूल होता है लेकिन मूर्ख किसी और तरीके से सीखते ही नहीं।
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अगर तुम प्यार पाना चाहते हो तो प्यार करना सीखो और प्यार किये जाने के क़ाबिल बनो।
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आस्था के जरिए चीज़ों को देखने का रास्ता तर्कणा की आँखों को बन्द कर देने का रास्ता होता है।
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विवेक के मंदिर की सीढ़ी हमारी अपनी अज्ञानता का बोध होता है।
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समूची मानव जाति की तीन श्रेणियाँ होती हैं: जो गतिमान हो सकते हैं, जो गतिमान नहीं हो सकते, और, जो गतिमान होते हैं।
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एक मकान तबतक एक घर नहीं होता, जबतक उसमें शरीर के अलावा दिमाग़ के लिए भी आग और भोजन न हो।
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मेहमान, तीन दिन बाद, मछली की तरह बास मारने लगते हैं।
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शादी के पहले अपनी आँखें पूरी खुली रखो, और शादी के बाद आधी बंद।
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शराब इस बात का पुख़्ता सबूत है कि ईश्वर हमें प्यार करता है और हमें ख़ुश देखना चाहता है।
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मैं रोज़ सुबह नौ बजे जगता हूँ, लपककर अख़बार उठाता हूँ और शोक-संदेश वाला पेज देखता हूँ। जब उसमें मेरा नाम नहीं होता तो मैं उठ जाता हूँ।
-- बेंजामिन फ्रैंकलिन (1706-1790)
(बहुज्ञ विद्वान, प्रबोधनकार लेखक, राजनीतिक दार्शनिक, वैज्ञानिक, कूटनीतिज्ञ, अमेरिकी बुर्जुआ जनवादी क्रान्ति के एक अग्रणी सिद्धान्तकार और प्रोपेगैण्डिस्ट)
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