Monday, June 07, 2021


बेइंतहा पसंद है मुझे 

आती हुई रात के

 झीने कुहासे को,

दरीचों को और सितारों को,

एक-एक करके आसमान में रौशन होते हुए देखना, और

गाढ़े धुँए की नदियों को ऊपर की ओर

सुस्ती से बहते हुए देखना ।

और फिर चाँद उगता है और उन्हें

चाँदी की रंगत दे देता है।

मैं देखूँगा बहारों, गर्मियों और

पतझड़ों को गुज़रते हुए आहिस्ता-आहिस्ता,

और  जब बूढ़ी सर्दी शीशे से

अपना सूना चेहरा सटा देगी,

तो मैं सभी दरवाज़ों-खिड़कियों को बंद कर लूँगा,

परदों को खींचकर नीचे गिरा दूँगा

और मोमबत्ती की रोशनी से अपने

 राजसी महलों की तामीर करूँगा ।

-- शार्ल बोद्लेयर (Les Fleurs du Mall)



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