Friday, April 16, 2021


 
"ओह ! उठा लो मुझे एक लहर की तरह, एक पत्ते की तरह, एक बादल की तरह!

मैं जीवन के काँटों पर गिर पड़ा हूँ ! ख़ून बहता जा रहा है !"

-- पर्सी बिशी शेली ('पछुआ हवा के लिए क़सीदा')

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"... यह नुक्ता संगीन है ; क्योंकि किसी बुर्जुआ राज्यसत्ता के मामलों के 'प्रबंधन' के लिए उस बुर्जुआ राज्यसत्ता की सरकार में ( यदि वह सरकार जनवादी सुधारों को लागू करने की ओर झुकाव रखने वाली , व्यापक जनता के एकजुट समर्थन वाली 'वाम' सरकार हो तो भी ) शामिल होना कम्युनिस्ट पार्टी का काम नहीं है । इस स्थिति में वह यदि सरकार में शामिल भी होती है , तो वर्ग संघर्ष की व्याप्ति के विस्तार के लिए और बुर्जुआ राज्यसत्ता के पतन की तैयारी के लिए शामिल होती है।" 

---लुई अल्थूसर 

( फ्रांसीसी मार्क्सवादी दार्शनिक )

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"यह संकट दिखाता है कि मौजूदा समाज वर्तमान की तुलना में कहीं अधिक मात्रा में उत्पादन करने की क्षमता रखता है, जो सभी मेहनतकशों की ज़िंदगी में सुधार ला सकता था, सिर्फ यदि भूमि, कारखाने, मशीन इत्यादि उन मुट्ठी भर निजी मालिकों के नियंत्रण में न होते जो आम लोगों की गरीबी से करोड़ों चूस लेते हैं।"

- लेनिन, "संकट के सबक"

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