Monday, September 21, 2020

 

हरिवंश नामका यह जो पतित सोशल डेमोक्रेट है, इसके एक लंगोटिया यार जसम से जुड़े वाम हिन्दी आलोचक रविभूषण रहे हैं जिन्होंने पदीदऊ के एकात्म मानववाद की सकारात्मकता पर हरिवंश संपादित अखबार में लेख लिखा था। कुछ नरम आलोचनाओं और भुनभुन-भिनभिन के बाद सबकुछ सामान्य हो गया, रविभूषण जसम में बने रहे और वाम जनवादी दायरे की उनकी मित्र मंडली भी सलामत बनी रही।

 "यहाँ कोई सत्ता संग अभिसार करे,

 दुराचार-व्यभिचार करे,

 रात-अँधेरे फ़ासिस्टों से चिपट-चूमकर प्यार करे,

 दरियागंज का दल्ला बन सेठों से नैना चार करे,

 फिर भी भइया वामपंथ का झंडा लेकर डटा रहेगा,

 संस्कृति का संसार अभी इन तिलचट्टों से पटा रहेगा ।"

(धीरेश सैनी की एक पोस्ट पर यह टिप्पणी की थी ! फिर सोचा कि और अधिक लोगों को विकट क्रोध और उच्च रक्तचाप का शिकार बनाने के लिए इसे एक स्वतंत्र पोस्ट की शक्ल दे दी जाए !)

(21 Sep 2020)

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