Thursday, September 10, 2020

कविता की एक नयी शैली, समझ लीजिए, नया स्कूल शुरू करने का इरादा है ।

 


दरअसल इन दिनों कुत्तों के बारे में ढेरों ख़्याल आ रहे हैं! दिलो-दिमाग़ कुत्तों से आक्रान्त है! अभिधा में कुत्ते, व्यंजना में कुत्ते, लक्षणा में कुत्ते ! बिम्बों में कुत्ते, रूपकों में कुत्ते, उपमाओं में कुत्ते! दरअसल मोदी जी ने जब देसी कुत्ते पालने की सलाह दी तो सहसा मेरी आँखों के सामने ज्योति सी कौंधी और मेरे ज्ञान-चक्षु खुल गये । फिर मैंने देखा कि अंबानी-अदानी ने कितने कुत्ते पाले हैं, मोदी जी ने कितने कुत्ते पाले हैं, और सभी ताकतवर लोगों ने ताकत के हिसाब से कितने-कितने कुत्ते पाले हैं! चारों ओर कुत्ते ही कुत्ते -- संसद और सचिवालयों में कुत्ते, थाना-कचहरियों में कुत्ते, दफ्तरों में कुत्ते, अकादमियों, कला-संस्कृति प्रतिष्ठानों में कुत्ते, राजमार्गों पर कुत्ते, बाज़ारों में कुत्ते ! हर किस्म के कुत्ते -- भौंकने वाले कुत्ते, काटने वाले कुत्ते, पीछा करने वाले कुत्ते, बौद्धिक कुत्ते, दार्शनिक कुत्ते, लेखक कुत्ते, कलाकार कुत्ते, रंगकर्मी कुत्ते, राजनेता कुत्ते, अफ़सर कुत्ते, दलाल कुत्ते, भगवा कुत्ते, "वाम" मुखौटे वाले कुत्ते, लंपट-दुराचारी कुत्ते, सदाचारी कुत्ते, कुत्तों के पालतू कुत्ते, कुत्तों के पालतू कुत्तों के पालतू कुत्ते ... बस कुत्ते ही कुत्ते !

मुझे लग रहा है कि मानव-सभ्यता अब एक कुत्ती सभ्यता के युग में प्रवेश कर रही है । तदनुसार कला-साहित्य-संस्कृति -- हर क्षेत्र में बदलाव अवश्यंभावी है, बल्कि इसकी शुरुआत हो चुकी है! 

मैं भी यह स्वर्णिम अवसर खोना नहीं चाहती और किसी भी और से आगे बढ़ कर तुरंत एक नई पहल लेना चाहती हूँ । 

तो भाइयो-बहनो! कविता का जो नया स्कूल मैं शुरू कर रही हूँ, उसका नाम है,'कुत्त कविता'! अंग्रेज़ी में भी इसे 'डाग पोयट्री' न कहकर 'कुत्त पोयट्री' ही कहेंगे!

अभी कल ही मैंने एक 'कुत्त कविता' पोस्ट की है! आगे भी करूँगी! पर इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी मैं अकेली थोड़े न उठाऊँगी । आपलोग भी आगे आइये और 'कुत्त-कविता-सृजन' में बढ़-चढ़कर हाथ बँटाइए!

(10सितम्‍बर,2020)

No comments:

Post a Comment