Friday, July 17, 2020


 अंततः वही हुआ जिसकी आशंका थी I गंभीर रूप से बीमार अस्सी वर्षीय कवि-कामरेड वरवर राव कोविड पॉजिटिव पाए गए ! भारी जन-दबाव के बाद महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें जेल अस्पताल से जे जे अस्पताल शिफ्ट तो किया, लेकिन वहाँ की हालत यह है कि कवि के परिजन जब उन्हें देखने पहुँचे तो वह अपने पेशाब में लथपथ अकेले बेहोश पड़े थे और उन्हें देखने वाला कोई नहीं था ! यह अप्रत्याशित नहीं है !


स्पष्ट है कि सत्ता जनता की आवाज़ उठाने वाले वयोवृद्ध कवि की हत्या करके देश के जनवादी अधिकार के लिए लड़ने वाले सभी लोगों और संघर्षशील आम जन को यह सन्देश देना चाहती है कि प्रतिरोध में उठने वाली हर आवाज़ का बेरहमी से गला घोंट जायेगा I कौन नहीं जानता कि भीमा कोरेगांव का असली अपराधी फासिस्ट , जो मोदी का एक गुरु है, सडकों पर छुट्टा घूम रहा है और जिन लोगों को फंसाया गया है वे प्रख्यात प्रगतिशील बुद्धिजीवी, मानवाधिकारकर्मी और लोक-अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग हैं ! वकील सुरेन्द्र गडलिंग, अंग्रजी की रिटायर्ड प्रोफ. शोमा सेन, मानवाधिकार कर्मी गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज,अरुण फरेरा, महेश राउत और रोना विल्सन, वर्नन गोंजाल्वेस, सुधीर ढवले, आनंद तेलतुम्बडे जैसे जाने-माने बुद्धिजीवी इन फासिस्टों की निगाह में न सिर्फ़ भीमा कोरेगांव हिंसा के अभियुक्त हैं बल्कि "खूँख्वार हिंसक माओवादी" या "अर्बन नक्सल" हैं !!


जाहिर है कि मोदी की फासिस्ट हुकूमत कोरोना की "आपदा को अवसर" में बदलते हुए अवाम के हक़ में आवाज़ उठाने वाली आवाजों को खामोश कर देना चाहती है और इस मामले में राज्यों की कांग्रेस सरकारें भी निष्ठापूर्वक उसकी मदद कर रही हैं ! असम में जेल में बंद अखिल गोगोई पहले ही कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं ! अब वरवर राव की खबर आई है ! अस्सी फीसदी अपंग दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जी.एन. साईबाबा को अरसे से जिस नागपुर जेल में बंद रखा गया है, उसमें बड़े पैमाने पर कोरोना फ़ैल चुका है ! इससमय भारत के अधिकांश जेलों और डिटेंशन सेंटर्स में कोरोना फ़ैल चुका है, जिस तथ्य का गोदी मीडिया पूरीतरह से ब्लैकआउट किये हुए है ! इस दौरान पूरे देश में सी ए ए -एन आर सी विरोधी आन्दोलन में सक्रिय लोगों को बड़े पैमाने पर घरों से उठाकर जेलों में ठूंस दिया गया है ! इनमें से जो चन्द लोग जेलों से बाहर ज़मानत पर छूटकर आ पाए हैं, उनपर भी नयी धाराएं लगाकर फिर से गिरफ्तार करने का सिलसिला जारी है ! आलम यह है कि सरकार के विरुद्ध फेसबुक पोस्ट लिखने वालों तक को गिरफ्तार करके देशद्रोह और अराजकता व हिंसा भड़काने जैसी संगीन धाराएँ लगाई जा रही हैं !


कुत्ती और बिकाऊ मीडिया के चलते आम लोगों तक यह बात पहुँच ही नहीं पा रही है कि इस फासिस्ट राज का अँधेरा कितना गहरा है ! भारत के जेल राजनीतिक बंदियों तथा मुख्यतः गरीब दलितों एवं मुसलमानों से ठसाठस भरे हुए हैं ! यह भी याद रहे कि भारतीय जेलों की गिनती दुनिया के सबसे नारकीय जेलों में होती है ! जाहिर है कि इस फासिस्ट आतंक राज का अँधेरा आपातकाल के दिनों से कई गुना अधिक गहरा है ! न्यायपालिका सरकार की चेरी बन चुकी है ! बुर्जुआ न्याय की लंगोटी भी उतर चुकी है ! पुलिस सडकों पर न्याय कर रही है और सजाए-मौत के खुद के फ़रमान को खुद ही तामील कर रही है ! देश एक ज्वालामुखी के दहाने पर बैठा हुआ है !


अब देखना यह है कि कितने विनाश के बाद, सडकों पर कितना लहू बहाने के बाद, हम मौत की परवाह किये बगैर उठ खड़े होंगे और अवाम को बगावत के लिए ललकारेंगे ! अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो इतिहास के अपराधी ही होंगे, और कुछ नहीं !

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