छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील प्रियंका शुक्ला की गिरफ्तारी बहुत चिंताजनक समाचार है। क्या पुलिसिया ज़ोरो-ज़ुल्म, मानवाधिकारों के हनन, नक्सली का ठप्पा लगाकर आदिवासियों के बर्बर उत्पीड़न, नागरिक अधिकार कर्मियों के दमन और छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों को कौड़ियों के मोल पूंजीपतियों को सौंपने के मामले में छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार भाजपा सरकार के ही नक़्शे-कदम पर नहीं चल रही है? और भला क्यों न चले ! 'सलवा जुडुम' का खूनी खेल इसी पार्टी के महेंद्र कर्मा ने शुरू किया था । गृहमंत्री रहते चिदम्बरम ने ही अर्द्ध सैनिक बलों के 'आतंक राज' की शुरुआत की थी तथा पूरे इलाके को धनपशुओं की लूट के लिए निरापद बनाने और स्थानीय आबादी के प्रतिरोध को कुचल देने की नीतिगत दिशा तय करते हुए मनमोहन सिंह ने ही नक्सली आतंक को सबसे बड़ा आन्तरिक ख़तरा बताया था । भाजपा अगर एक बर्बर फासिस्ट पार्टी है तो कांग्रेस भी पुरानी बोनापार्टिस्ट टाइप पार्टियों से अधिक निरंकुश दमनकारी चरित्र की बुर्जुआ पार्टी है ।
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