चोर के पीछे मोर के पीछे चोर के पीछे मोर के पीछे चोर के पीछे मोर... ...
चोर के पीछे फोटू वाला भाग भाग कर
फोटू खींचे मोर हो गया बोर ।
दिल्ली छोड़ के बगटुट भागा मोर गया बंगाल
देख नजारा वहां का हुआ बदहवास बेहाल ।
चोर वहां टैगोर बना था बजा रहा था गाल
सभी भेड़िए नाच रहे थे पहन भेड़ की खाल ।
यह सारा घनचक्कर देखा, चक्कर भीतर चक्कर देखा, अक्कड़ देखा बक्कड़ देखा मोर हुआ बेहोश
चोर था राजा, ताकतवर था, जो मर्ज़ी वो ही करता था, चीखा-चिल्लाया फिर बोला, 'मोर बहुत मनहूस जीव है, इसे भगाओ, अब फोटू सेशन करने को ले आओ खरगोश' ।
मोर भागकर पहुंचा जंगल, नाचा ख़ूब मनाया मंगल, लिखी चोर पर कविता एक बहुत बेढंगी
चोर के सब दरबारी बोले, कविता के ब्यौपारी बोले,'हाय राम, यह कविता कितनी भोंड़ी गंदी!'
मोर ने कहा,'करनी है जब इतनी गन्दी, टट्टी से भी ज्यादा गंदी, कविता मैं इस नामुराद पर कैसे लिख दूं सुंदर चंगी?'
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