जो डरे वो तिलचट्टा !
जो चुप रहे उसके मुंह में गू !
-- झंझटी देवी झंझारपुर वाली।
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फ़ासिस्टों के सामने शान्तिपाठ करने वाले लिबरल घोंचुओं पर हज़ार लानतें !
बर्बर हत्यारों के दरबारी बने कलावंतों और आलिमों के मुंह पर त्थू ! आक्त्थू !!
-- झंझटी देवी, झंझारपुर वाली ।
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