Friday, May 22, 2020


सड़क पर मरे कुत्ते का कच्चा मांस खाते भूखे इंसान का वीडियो देखा ! भूख से बिलबिलाते बच्चों के वीडियो, दिल चीर देने वाली स्त्रियों की चीत्कारें, दुर्घटनाओं की तस्वीरें, दो माह से हाईवेज़ पर अनवरत चलते दर-बदर मज़दूरों का रेला, बुर्जुआ और संसदीय विपक्षी दलों का अपाहिजपन, प्रसव के तुरत बाद सैकड़ों कि.मी. की यात्रा तय करती मज़दूर स्त्री, एकदम नंगा होकर सामने आ चुके फासिस्ट दरिंदों के खूनी चेहरे, कुछ दया करके गदगद होता चर्बीला मध्यवर्ग ... ...

अपनी ताक़त भर, जो कुछ भी हो सकता है, करने के बाद भी, एक अजीब सी बेबसी भरी घुटन महसूस हो रही है! क्या करें ? और क्या-क्या करें भाई फिलहाल ?

एक सार्थक बदलाव के पहले आखिर कितनी यंत्रणाएं, कितनी यातनाएं, कितनी त्रासदियाँ देखनी होंगी ! ग्लानि और अपराध-बोध सा होता है कि अभी हमें रोटी मिल जा रही है और हम एक छत के नीचे बिस्तर पर सो रहे हैं ! हम पूरी लगन से, पूरी मेहनत से, अपना काम कर रहे हैं I फिर भी अभी एक लम्बी यात्रा तय करनी है I वैज्ञानिक तौर पर हमें इसके ऐतिहासिक कारण पता हैं और हम उनकी व्याख्या भी कर लेते हैं, फिर भी मानवीय धरातल पर बहुत घुटन और पीड़ा महसूस होती है I कोई भी आदमी इन हालात में धंधा या चेहरा चमकाता नज़र आता है तो जैसे दिलो-दिमाग़ में तेज़ाब खौलने लगता है I

क्रोध और घुटन के तनाव से दिलो-दिमाग़ ही नहीं, शरीर भी जैसे थक जाता है I फिर उदासी-सी छाने लगती है !

(20मई, 2020)

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