Wednesday, May 13, 2020


महा गलदोद ! महा लबार ! महा थेंथर ! महा लफ्फाज ! महा ठग ! महा नौटंकीबाज़ ! महा झुट्ठा ! महा धोखेबाज़! गरीब मेहनतक़शों के बदन से चिपका जोंक ! सेठों का कलछुल ! महा जालिम ! महा हत्यारा ! महा चुगद!

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शिकारी आया ! जाल बिछाया ! दाना डाला ! इसबार सिर्फ़ भक्त तोते फँसे ! बाकी पक्षी दूर डाल पर बैठकर शिकारी का खेला देख रहे थे ।

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अगर ऐसा ही होता रहा तो ? शिकारी पूरे जंगल में आग लगा देने के बारे में सोच रहा है ! पर जंगल फिर भी बचा रहेगा ! शिकारी खुद ही आग से घिर जाएगा ! जलकर राख हो जाएगा ! तब उसे याद आयेगा,'ओ डार्लिंग! ये है इंडिया!'

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जंगल जितना जल चुका रहेगा, उस राख पर बारिश होगी ! वहाँ मिट्टी भी बहकर आयेगी ! पक्षी वहाँ बीज लायेंगे!जंगल पनपेंगे फिर से ! पर शिकारी को फिर से जीवन नहीं मिल सकेगा !

(12मई, 2020)

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