Sunday, May 10, 2020

भारत के महान मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों की ऐतिहासिक अभिलाक्षणिकताएँ :


***********
रोना-कलपना, बिसूरना, छाती पीटना, कोसना, धिक्कारना, भिनभिन-भुनभुन करना, नसीहतें देना, बिना पढ़े-लिखे ज्ञान बघारना, चेला बनाने और उनका "मार्गदर्शन" करने के लिए आतुर रहना, अपनी प्रशंसा सुनने के लिए दिन-रात बेकल रहना और प्रशंसा सुनते ही बेसुध हो जाना, अपनी मूर्खताएँ छिपाने के चक्कर में उनका और वीभत्स प्रदर्शन करते रहना, अपने से नीचे वालों के प्रति कृपा और हिकारत का नज़रिया रखना, प्रभावी लोगों के आगे दांत चियारकर बिछ जाना, जबतक स्वयं लम्पटई का मौक़ा न मिले तबतक सदाचार पर उपदेश देते रहना, सत्ता का विरोध करते हुए कभी भी सुरक्षा की लक्ष्मण-रेखा न लाँघना, मार्क्सवादी होने के दावे के बावजूद अन्दर से आध्यात्मिक और जातिवादी होना, स्त्री-स्वातंत्र्य से घोर घृणा करते हुए स्त्री-स्वातंत्र्य पर लेक्चर देते रहना, जलना-कुढना, पीठ-पीछे बुराई बतियाना और साजिशें करना, चुगलखोरी और चापलूसी करना,गुटबाजी करना, दिल की बातें कभी भी जुबान पर न लाना, तथा, हर तरह से सुखी-सुरक्षित जीवन जीते हुए सार्वजनिक तौर पर यह दिखाते रहना कि देश-दुनिया-समाज के भविष्य और आम लोगों की दुरवस्था को लेकर कितने चिंतित-परेशान रहते हैं !

(9मई, 2020)

No comments:

Post a Comment