Friday, April 03, 2020


कल्की अवतार प्रभू लीलाबिहारी चिंतित बइठे हैं ! बहुते चिंता में हैं !

चिंता क बात ई है कि देस में हेतना धुमगज्जर मचा हुआ है और बिचारे को लीला करने का कवनो मौके नाहीं मिल रहा है ! ई ससुरा किरौना अइसा आफत जोत दिया है कि लीला का कवनो इस्कोपे नाहीं बनि रहा है !

ताली-थाली बजवाय दिहिन, मगर कुछ ख़ास मजा नाहिं आवा ! फिर पूरा देसवे उठाके बंद करि दिहिन, पर एहूमें कवनो लीला क इस्कोप हइये नाहिं ! हेतना सब नंगा-कंगला कीड़ा-मकौड़ा के माफिक सड़कन पर किलबिल-किलबिल कर रहा है, देख के मन में थोड़ा आनंद तो होय रहा है, पर लीला की तो बात ही दूसर है न !

अब कल्की अवतार बिचारे कहाँ हैट आउर काला चस्मा लगाय के, सूट डटाइ
के बाघन हाथियन के अभयारन में फिलिम उतरवावें, थपरी पीटि-पीटि के भाखन-भूखन करिके कहाँ फोटू खिचवावैं, टी.भी. पर दर्सनों देवें त का डायलाग मारें -- कछु समझे में नाही आय रहा है ! अब लोगन के ई त कह नाहीं सकित हैं कि भैया तू लोगन मर भूख से आ चाहे किरौना से, हम कुच्छो नाहिं कर सकित हैं ! लीला बिहारी ई कहिहें त सड़क पर दौराइ-दौराइ के लतियावल जइहें, पछीट-पछीट के पिटइहें ! तब लीला बिहारी करें तो का करें ! ईहे सब चिंता हौ !

आ एक ठो ई ससुरा चिकारा है, जम का अवतार है, पर ई बार एकरी मति भी मारी गई है, बुद्धी पर पाथर पड़ि गवा है ! ससुर ठीक से बतइबे नाहीं किया कि किरौना पर पहिलहीं से कुछ डायलागबाजी-डिरामेबाजी सुरू कर देते ! मन त हो रहा है कि ससुर क खोंपड़ी पर तबला बजाय देवें, मगर नाहीं, धीरज राखना होगा ! आफत का टैम है ! थोरा आफत कम होवे त फिर कुछ लीला दिखावें ! अबहीं तो भेजा बहुत आउट है यार ! लोगन क गुस्सा देखि-देखि के सटकी पड़ी है !

(29मार्च, 2020)

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गजब करते हो हे कल्किअवतार लीलाबिहारी
नरसंहारक,कुटिल-कपटी,व्यभिचारी गिरधारी !

भीषण-भयंकर , अजब लीला दिखाते हो
फिर माफ़ी यूँ माँगते हो कि लगता है धमकाते हो !

जहाँ कहीं भी हों अमन और इंसाफ़ की बातें
यम के भैंसे-सा सींग ताने आँखें निकाले दौड़े चले आते हो !

पाँच ग्राम मक्खन चुराने के लिए माँगते हो माफ़ी
हत्या, लूट और षड्यंत्र के सारे अपराध छिपा जाते हो !

क्षमा करो हे अवतारी पुरुष! हम तो माफ़ी के झाँसे में न आयेंगे !
भक्त नहीं हैं जो जूतिया बनेंगे, गोपुत्र और गर्दभ कहलायेंगे !

अनाचार की इस बारिश में हम भी अगर बन जाएँ केंचुआ और घोंघा

तो हमारे बच्चों के बच्चों के बच्चे तक शर्म के समंदर में गोते लगायेंगे !

(30मार्च, 2020)

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जल्दी ही कैलेंडर बदलने वाला है ! हिन्दू पंचांग भी बदल जाएगा ! फिर साल के बत्तीसवें महीने की बत्तीस तारीख को बत्तीस बजकर बत्तीस मिनट और बत्तीस सेकंड पर लीलाबिहारी भाषणाचारी कैमरानिहारी कल्किअवतार दूरदर्शन पर प्रकट होंगे और 'भये प्रकट कृपाला दीनदयाला'... के पृष्ठभूमि संगीत के साथ राष्ट्र के नाम यह सन्देश देंगे :

"कद्दम्दित्तूपद्दम परम्पर्पाम्पेईत्तूतीशी कल्दिशानायायातुपिभुशान्नाकिपीटूक फेन्फेन्फेन्फेन्कित्तूपतूजत्तू यावात्कापत्र्गियुब्न्माटर कुद्ल्जिु्दु्मुकृदंतसवजैक ठात्म्हददकपस्भिजेर्ताकाक्व्ज़शकोदाबशिद्निह्ताक्रिसन किग्द्याि्कुेाव जकपत वयपदनापदुलाजिक़ज़िप्तेजी ह्रीन्क्लीन्प्रीन्कुद्कुद्पदाक्फताक्स्वहय पूंपूंपूंपूंपीं !"

फिर तैंतीस महीनों तक तैंतीस चुनिन्दा चैनलों और अखबारों के तीन सौ तैंतीस विशेषज्ञ इस रहस्यमय दैवी सन्देश की व्याख्या करेंगे और अभिधा, व्यंजना, लक्षणा को समझते हुए इसका निहितार्थ पकड़ लेंगे ! फिर तैतीस करोड़ देवता कल्कि अवतार के निर्देश पर इस धरा पर अवतरित होंगे और प्रभु का सन्देश एक सौ तैंतीस करोड़ जनों के चित्त में उतार देंगे ! तदनंतर, जम्बूद्वीप, भरत खंड आर्यावर्त देश के सभी निवासियों के अच्छे दिन आ जायेंगे !


इतने में तात चिकारा हस्तक्षेप करते हुए बोले,"समझ गए बे *&^%$#@!+?>< ! अब आगे से जो कोई पूछा कि अच्छे दिन कब आयेंगे, तो उसे पछींट-पछींट के लतियायेंगे !"

(15अप्रैल, 2020)






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