मैंने परिवार के कई लोगों और अपने कई कामरेडों के दवा-इलाज के दौरान इस देश के कम से कम तीस-चालीस छोटे-बड़े शहरों के जिला अस्पतालों, सिविल व अन्य सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, बड़े इंस्टिट्यूटों और कई स्तरों के प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होमों को देखा है ! बरामदों में इंतज़ार करती पथराई आँखें देखी हैं, बेबसों से घिरी या लावारिस लाशें देखी हैं, बेरहम धनपशु डॉक्टर देखे हैं, इसी व्यवस्था में मज़बूर कुछ मानवीय डॉक्टर भी देखे हैं ... और बहुत कुछ देखा है !
इस देश की चिकित्सा-व्यवस्था को देखकर मैंने इस पूँजीवादी व्यवस्था को अहसास के गहरे धरातल पर समझा है ! स्वास्थ्य-चिकित्सा के पूरे तंत्र ने मुझे इस पूँजीवादी व्यवस्था से दिल की गहराइयों से नफ़रत करते हुए जीना सिखाया है !
मेरे लिए मनुष्यता का मतलब ही है इस पूँजीवादी व्यवस्था से नफ़रत करते हुए और लड़ते हुए जीना ! किसी और तरीके से जीने का कोई मतलब ही नहीं है मेरे लिए !
(26मार्च, 2020)
No comments:
Post a Comment