(देखिये,महायोगिनी ने तो कल रात्रि में ही बता दिया था ! यह त्रुटि मेरी है कि मैंने प्रमादवश अवधूता की भविष्योक्ति पर ध्यान नहीं दिया और इस सन्देश को जन-जन तक नहीं पहुँचाया !)
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राष्ट्रीय मिति चैत्र 25 शक संवत् 1942, चैत्र कृष्ण सप्तमी,मंगलवार, विक्रम संवत् 2077। सौर वैशाख मास प्रविष्टे 2,शब्बान 20, हिजरी 1441 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 14 अप्रैल,2020 ई.I ..सूर्य उत्तरायण, उत्तर गोल, बसंत ऋतु। राहुकाल पूर्व समय, दुर्मुहुर्त काल पश्चात यमगंड काल (पूर्वाह्न 9 बजे से 10.30 बजे तक) पूर्वाषाढा नक्षत्र, शिव योग, बवकरण I वर्ज्य काल सुबह 04 बजकर 09 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 50 मिनट तक रहेगा I
इसी .राहुकाल पूर्व समय, दुर्मुहुर्त काल पश्चात यमगंड काल में, अर्थात्, इसी वर्ज्य कालावधि के दौरान, 14 अप्रैल को, पूर्वाह्न 10 बजे, जम्बू द्वीप के भरत-खंड में कलियुगी नव- दशानन दूरदर्शन पर दृष्टिमान होगा (यद्यपि वह आपको एकानन ही दीखेगा), दसों दिशाओं में उसका अशुभ, अनिष्टकारी अट्टहास गूँजेगा पर सामान्य जनों को वह करबद्ध होकर कुशल-मंगल और आशा की बातें करता दिखाई और सुनाई देगा ! दुर्मुख दशानन अपने दश मुखों से अविरल असत्य की बारिश करेगा, पर उसमें दश असत्य भीषण होंगे और उन्हें केवल जन-हित-चिन्तक सुधी गन ही समझ पायेंगे ! शेष सुखी जन अभी भी उसकी माया और छल-बल के भुलावे में बने रहेंगे ! छली दशानन के महामायावी बौद्धिक गण दशानन के असत्यों को बार-बार दुहराकर सत्य बना देंगे और वास्तविक सत्य को पाताललोक में अहिरावण के दुर्ग में छिपा देंगे !
दूरदर्शन से दशानन की छवि ज्यों ही तिरोहित होगी, दसों दिशाओं में उसका 'खल-खल' अट्टहास गूँजने लगेगा और आकाश से अन्धकार, राख, रक्त, व्याधियों और मृत्यु की बारिश होने लगेगी ! अपरिचित विषाणु-जन्य व्याधि के साथ ही अनेकों व्याधियाँ, दुर्भिक्ष, कष्ट और त्रास श्रम-दासों के जीवन को असह्य बना देंगे !
किन्तु अभय वत्स ! चिंता-मुक्त भव ! एक समय आयेगा जब फासिस्ट दुष्ट-दलन के लिए उपयुक्त योग होगा ! उस शुभ मुहूर्त के बारे में आवश्यक पूर्व-संकेत उन्हें मिल जाएगा जो इतिहास का ज्ञान-योग साधेंगे !
अतः, हे भारतवासी जागो ! सही पद्धति से साधना करो ! किसी अज्ञानी, प्रवंचक, प्रपंची, शठ और छली के फैलाए मायाजाल में न फँसो !
कल्याणमस्तु !
-- अवधूता महायोगिनी देवि कपाल कुण्डला
मणिकर्णिका घाट,
वाराणसी !
(14अप्रैल, 2020)
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