Tuesday, March 31, 2020

'पापा, क्या तुम चोट्टा हो ?'



एक और दिलचस्प किस्सा सुनिए ! सच्ची घटना है !

बात बरसों पुरानी है I हाई कोर्ट के एक जज साहब हुआ करते थे I एक वकील साहब के ज़रिये अपना भी हल्का-फुल्का परिचय था I यह घटना उन वकील साहब ने ही मुझे बतायी थी I जज साहब पहले वहीं पर प्रैक्टिस करते थे I पहुँच बड़ी ऊँची थी, दिल्ली के गलियारों तक I बहुत जल्दी ही जज बन गए थे I शादी देर से की थी I एक बेटी के बाद जो दूसरा बेटा था, बहुत छोटा था, सेंट्रल स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ता था I बड़ी सी गाड़ी में एक चपरासी के साथ रोज़ स्कूल जाता था I

शहर का एक नामी पुराना गुण्डा जो अब विधायक बन गया था, उससे जज साहब की क़रीबी थी, घर आना-जाना था I एक प्रसिद्ध मंदिर के महंत जो हिन्दुत्व की राजनीति के पुराने खिलाड़ी और संसद-सदस्य थे, उनकी भी जज साहब भक्ति करते थे I कृपा धारासार बरसती रहती थी I जज साहब के पास दिल्ली, नोयडा और देहरादून में कोठियाँ थीं, कई प्लाट भी थे I

फिर ऐसा हुआ कि जज साहब का छोटा बच्चा अचानक कुछ दिनों से स्कूल जाने से कतराने लगा I शाम को फुटबॉल की कोचिंग में भी नहीं जाता था I तैरना सीखने जाना भी बंद कर दिया I कुछ अनमना और चुप-चुप सा घर में ही इधर-उधर घूमता रहता था I टॉमी के साथ खेलता भी बहुत कम ही था I

जज साहब और उनकी पत्नी बहुत परेशान हुए I बहुत पूछा पर उसने कुछ नहीं बताया I स्कूल गए, प्रिन्सिपल और क्लास-टीचर से भी बातचीत की, पर कोई सुराग़ हाथ नहीं लगा I

फिर एक दिन बहुत पुचकारने और पूछने पर बच्चा थोड़ा खुला I नज़रें झुकाए हुए उसने पापा से पूछा,"पापा ! तुम चोट्टा हो ?"

जज साहब एकदम हड़बड़ा गए," नहीं बेटे, किसने तुमको ऐसी गंदी बताईं तुम्हारे पापा के बारे में ?"

बच्चा सवाल का जवाब दिए बिना बोलता चला गया,"और वे तो यह भी कह रहे थे कि तुम मंत्रियों और नेताओं के तलवे चाटते हो ! तलवा चाटना तो बहुत गंदा लगता होगा न ! तुम किसलिए ऐसा करते हो ? वे कह रहे थे कि तुम नेताओं के आगे दुम हिलाते हो और पैसे खाते हो ! मैंने बता दिया कि मेरे पापा के तो दुम है ही नहीं और मैंने उन्हें कभी पैसे खाते नहीं देखा, वह तो खाना खाते हैं ! इसपर सभी जोर-जोर से हँसने लगते हैं I सब कहते हैं कि इतनी बड़ी गाड़ी और बहुत सारा पैसा तुमने चोट्टागीरी करके हासिल की है, सब दो नंबर की कमाई है I"

"कौन कहता है ? कौन कहता है यह सब ?" जज साहब की पत्नी बोलीं I

बच्चे ने कहा,"इंटरवल में जो दूसरी कक्षाओं के बड़े लड़के हैं, वे कहते हैं I अब तो उनकी बात पर मेरी क्लास के बच्चे भी हँसते हैं I मेरे दोस्त भी अब मुझसे बात नहीं करते I"

हैरान-परेशान जज साहब और उनकी पत्नी ने बहुत समझाया, पर बच्चे के चेहरे की उदासी वे दूर न कर सके I

रात में जज साहब की पत्नी ने जज साहब से कहा,"सुनो जी, इस सेंट्रल स्कूल में तो ज्यादातर 'बिलो स्टैण्डर्ड फैमिली' के ही बच्चे पढ़ते हैं I बेटे को किसी बड़े प्राइवेट स्कूल में डलवाओ I मुझे तो उसकी बहुत चिंता हो रही है !"

"नहीं-नहीं ! उसे बाहर कहीं किसी बोर्डिंग स्कूल में भेजना होगा I इस शहर में रखना ही ठीक नहीं होगा !" जज साहब ने कहा I

पति-पत्नी रात भर नहीं सोये I अगले ही दिन जज साहब ने हफ़्ते भर की लम्बी छुट्टी की दरख्वास्त दी I बेटे-बेटी को उनकी मौसी के घर लखनऊ छोड़ा ! उनके साढू भाई वहाँ किसी बड़े सरकारी निगम के डायरेक्टर थे ! फिर पति-पत्नी ने ऊटी, डलहौजी, नैनीताल, मसूरी और देहरादून के सबसे मँहगे और इलीट बोर्डिंग स्कूलों का मुआयना किया I अंततोगत्वा बेटे को मसूरी के एक बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन दिलाने का तय हुआ ! खुद हाई कोर्ट के जज थे ! शासन-प्रशासन में ऊँची पहुँच थी I सारा काम चुटकियों में हो गया I

बच्चा अभी छोटा था ! ज्यादा उम्मीद यही है कि कुछ दिनों बाद सहपाठियों की यह बात वह भूल गया होगा कि उसके जज पापा एक चोट्टा थे जो मंत्रियों-नेताओं के तलवे चाटते थे और उनके आगे दुम हिलाते थे ! या हो सकता है, न भी भूला हो ! कभी-कभी बहुत बचपन की कोई बात भी बड़े होने तक याद रह जाती है !

(18मार्च, 2020)

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