Monday, March 30, 2020

एक कमेंट और उसका उत्तर


अजेश स्वरूप ब्रह्मचारी --

आप बहुत अच्छा लिखती हैं , मैं आपसे सहमत भी हूँ । किन्तु केवल सेलेक्टिव एजेंडा पर लिखती हैं ।
अभी आपने देखा होगा कि ईरान के नेता ने caa पर भारत को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया । भारत में सारे मुसलमान उसकी तारीफ करने लग गये । मोदी को गालियां दी ।
अब जब ईरान ने भारत के मुसलमानों को कुत्तो मौत मरने के लिए छोड़ दिया । तो मोदीजी ने स्पेशल डॉक्टरों की टीम भेजकर सबको भारत लाया । फिर भी भारत के मुसलमानों ने ईरान के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं बोला । मुसलमानों के इस दोगलापन पर क्या विचार है ?

.

मेरा उत्तर --

आप भलेमानस हैं पर आपकी आँखों पर भी मोदी की गोदी मीडिया, भाजपा के आई टी सेल और व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी का दिया चश्मा चढ़ ही गया है, अनजाने ही सही ! पहली बात यह कि सिर्फ़ ईरान ने ही नहीं, बल्कि अधिकांश यूरोपीय देशों की सरकारों या विधायिकाओं ने, या दोनों ने, सी ए ए की निंदा की है ! मोदी के यार ट्रम्प की सरकार और अमेरिकी कांग्रेस ने भी आलोचना की है ! दुनिया के अधिकांश देशों ने की है, बल्कि भारत को तेल बेचने वाले खाड़ी के कुछ अरब देशों की मुस्लिम धार्मिक सरकारें ही इसपर चुप रही हैं ! यूनाइटेड नेशन्स ने सी ए ए को मानवाधिकारों का हनन बताते हुए भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है ! अब ईरान भी अगर इस वाजिब मुद्दे पर आलोचना कर रहा है तो उसे सिर्फ़ इसलिए कटघरे में खड़ा कर दिया जाए कि वह मुस्लिम देश है ? दूसरी बात, अगर ईरान की यह आलोचना गलत भी होती तो उसके ख़िलाफ़ बोलने का ठेका क्या सिर्फ़ इसलिए मुस्लिम आबादी का होना चाहिए क्योंकि ईरान एक मुस्लिम देश है ? क्या भारत के मुसलमानों ने दुनिया भर के सभी मुस्लिम देशों की ओर से बोलने की ज़िम्मेदारी ले रखी है ? यह देशभक्ति साबित करने का कौन सा तरीका ईजाद किया है आपने ? और फिर दुनिया के मुस्लिम देशों के शासक पूँजीपति तो सबसे अधिक आपस में ही खूनी युद्धों में उलझे रहते हैं ! फिर भारत के मुसलमान किसके पक्ष में बोलेंगे ? आपको यह भी नहीं पता कि कई अरब देश भारत-पाकिस्तान विवाद में अपने व्यापारिक हितों के चलते भारत का पक्ष लेते हैं या तटस्थ रहते हैं ! आपको यह भी नहीं पता कि ईरान एक शिया थिओक्रेटिक स्टेट है, जबकि भारत की अधिकांश मुस्लिम आबादी सुन्नी है और इस नाते एक कट्टर धार्मिक सुन्नी भी ईरान के अयातुल्लाह से कोई धार्मिक नज़दीकी नहीं महसूस करेगा ! ईरान की अधिकांश सुन्नी आबादी-बहुल अरब देशों से खुद ही ठनी रहती है (हालाँकि इस धार्मिक टकराव के मूल में विश्व तेल-बाज़ार से जुड़े आर्थिक हितों का टकराव ही मूल बात है) और उन अरब देशों की पीठ पर उसी अमेरिका का हाथ रहता है जहाँ का ट्रम्प मोदी का यार है ! इस तर्क से तो यह भी कहा जा सकता है कि चूँकि अमेरिका ने ही अल-कायदा, मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टेट और तालिबान जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठन अपने साम्राज्यवादी हितों के लिए खड़े किये और चूँकि अमेरिका ने अभी हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान के साथ सत्ता-हस्तांतरण के लिए समझौता किया है और उसी ट्रम्प के लिए मोदी पलक-पाँवड़े बिछा देते हैं, इसलिए सभी हिन्दुओं को देशद्रोही मोदी की खूब लानत-मलामत करनी चाहिए ! करेंगे ? ये सब अहमकाना बातें हैं जो दिमागों में साम्प्रदायिक ज़हर के असर से पैदा होती हैं !

आप भारत के "सारे मुसलमानों" के बारे में इसतरह बातें कर रहे हैं जैसे घर-घर जाकर रायशुमारी की हो ! कितनी नफ़रत भरी भाषा है आपकी ! आँखें खोलिए ! मैं सैकड़ों ऐसे मुसलमानों को व्यक्तिगत रूप से जानती हूँ, और पचासों तो हमारे साथ काम करते हैं जो सेक्युलर, आधुनिक और खुले ख्यालों के हैं और मुस्लिम धार्मिक कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ खुलकर बोलते हैं ! चश्मा उतारिये महोदय ! धार्मिक कट्टरपंथी और सेक्युलर, प्रगतिशील -- हिन्दू-मुस्लिम, दोनों के बीच हैं ! लेकिन भारत में खतरा हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी फासिज्म से ही है क्योंकि बहुसंख्यावादी कट्टरपंथ उन्हींका हो सकता है ! आज धार्मिक आधार पर आम आबादी को बाँटकर और मार-काट मचाकर फासिस्ट मोदी आर्थिक मुद्दों से ध्यान भटका रहा है, लोगों पर गरीबी-मंहगाई-बेरोजगारी का कहर बरपा कर रहा है, शिक्षा-स्वास्थ्य-- सबकुछ का सार्वजनिक ढाँचा तोड़ रहा है, सार्वजनिक संपत्ति औने-पौने बेंच रहा है, दलाली-भ्रष्टाचार चरम पर है और हिन्दुत्व के सभी झंडाबरदार अम्बानी-अदानी औए अन्य देशी पूँजीपतियों के साथ ही साम्राज्यवादियों की ड्योढी पर भी साष्टांग दंडवत कर रहे हैं ! पूरे देश को भयंकर गृहयुद्ध में झोंककर ये भ्रष्ट, लम्पट, बलात्कारी, हत्यारे, दंगाई फासिस्ट इसे खून का दलदल बना दें और 1940 के दशक के जर्मनी और इटली से भी बदतर हालत में पहुँचा दें, इसके पहले आप जैसे दिग्भ्रमित-विभ्रमित-पूर्वाग्रहित-प्रचार सम्मोहित भलेमानसों का होश में आ जाना ज़रूरी है ! ऐसा न हो कि कल बहुत देर हो जाए ! बाक़ी, हिन्दू और मुस्लिम कट्टरपंथ के आपसी रिश्तों पर मेरी आज की पोस्ट ज़रूर पढ़ लीजिएगा !शायद पूर्वाग्रहों से मुक्ति पाने में थोड़ी मदद मिले !

.

अजेश स्वरूप ब्रह्मचारी --

Kavita Krishnapallavi मैं आपके जितना तर्क तो नहीं कर सकता ,, आपने कहा हमारी आंखों में चश्मा चढ़ा है। चलो इसे भी मान लेता हूँ। फिर भी मैं इतना तो समझता ही हूँ कि आपको सारी कट्टरता , सारी बुराई , सारी गलतियां केवल हमारे पक्ष वालो का ही दिखता है।
मैंने एक दिन पढ़ते-पढ़ते आपके सारे लेख पढ़ डाले । यत्र-तत्र-सर्वत्र आपने हिन्दू कट्टरता के विरुद्ध ही लिखा है । क्या आपको मुस्लिम कट्टरता नहीं दिखती ? आप उस तरफ आंख क्यों मूंद लेती है ?

मेरा उत्तर --

अजेश स्वरूप ब्रह्मचारी जी नहीं ! मैं आज ही एक पोस्ट मुस्लिम कट्टरपंथ पर डाल चुकी हूँ ! पहले भी लिखा है ! हाँ, मैं हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथ पर अधिक लिखती हूँ और लगातार लिखती हूँ, क्योंकि भारत में हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी फासिस्ट ही सत्ता में हैं और उनका बहुसंख्यावादी फासिज्म ही सेकुलरिज्म, नागरिक अधिकारों, लोकतान्त्रिक आज़ादी और सभी आम मेहनतक़श आबादी के लिए खतरा है ! इन्हीको संकटग्रस्त भारतीय पूँजीवाद ने अपनी चाकरी के लिए चुना है, मेहनतक़श आबादी को कुचलने के लिए चुना है और आम लोगों में साम्प्रदायिकता की आग भड़काकर उनके आन्दोलनों को बिखराने-भटकाने के लिए चुना है ! जहांतक मुस्लिम कट्टरपंथ का सवाल है, वह हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथ को ही मज़बूत बनाने का काम करता है ! पर आज भारतीय आम लोगों की लड़ाई सत्तारूढ़ हिन्दुत्ववादी फासिस्टों से है ! मैं आम जनता को 'हिन्दू पक्ष' और 'मुस्लिम पक्ष' में बांटकर देखती ही नहीं ! पक्ष सिर्फ़ दो हैं -- एक ओर सभी धर्मों-जातियों के आम दबे-कुचले लोग और दूसरी ओर लुटेरे मुनाफाखोर पूँजीपति एवं साम्राज्यवादी ! बाकी सारे बंटवारे शासकों ने आम लोगों में फूट डालने के लिए पैदा किये हैं ताकि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ न सकें और जालिमों की हुकूमत चलती रहे !

.

अजेश स्वरूप ब्रह्मचारी --

Kavita Krishnapallavi जी अभी अभी आपका वह पोस्ट भी पढ़ा । जिस प्रकार आपने उसमें कहा कि अल्पसंख्यक कट्टरवाद बहुसंख्यक कट्टरवाद को बल देने का कारण बनेगा ।
उसी प्रकार कथित सेक्युलरों का पक्षपात पूर्ण रवैया बहुसंख्यकों को एकमत होकर भाजपा को ही चुनने के लिए बाध्य करेगा ।
अंकित शर्मा के निर्ममता पूर्वक हत्या से यदि सेक्युलरों को कोई फर्क नहीं पड़ता , शरजील इमाम और वारिश पठान के विरुद्ध बोलना तो दूर , कतिपय सेक्युलर उसके उसके समर्थन में ही दिखते हैं ,, व्यवहार ऐसा करते हैं जैसे दूसरे दोषों के भंडार हो और उनमें कोई गलतियां ही न हो !
तो न चाहकर भी बहुसंख्यकों को बीजेपी के साथ खड़ा ही होना होगा ।
मुस्लिमों के अस्तित्व की लड़ाई में कथित सेक्युलर उनके साथ है । तो फिर बहुसंख्यक भी एक स्टैंड लेगा ही ।

.

मेरा उत्तर --

अजेश स्वरूप ब्रह्मचारी जी, आप भी एक अतार्किक अंधभक्त ही हैं ! हालांकि आप संवाद में उग्र शाब्दिक अग्नि-वर्षा नहीं कर रहे हैं दूसरे तमाम अंध-भक्तों की तरह ! अतः आपकी विनम्रता को नतमस्तक होकर प्रणाम करती हूँ ! लेकिन साम्प्रदायिकता का ज़हर आपके मस्तिष्क के तर्कतंत्र को क्षतिग्रस्त कर चुका है ! आपको समझा पाना साक्षात आचार्य वृहस्पति और आचार्य शुक्राचार्य के लिए भी असंभव होगा ! वैसे भी आप ब्रह्मचारी संन्यासी हैं, इसलिए ब्रह्मचर्य-पालन और यम-नियम-आसन तथा ध्यान पर ही केन्द्रित करें तो बेहतर ! वेदों, ब्राह्मण संहिताओं, उपनिषदों और वेदान्त-दर्शन के भाष्यों का अध्ययन कीजिए ! धर्म की विजय और अधर्म का नाश तो होगा ही ! फिर एक संन्यासी इस नाहक चिंता में अपना समय क्यों नष्ट करे ! राजनीति तो सांसारिक और तामसिक चीज़ है ! संन्यासियों को पथभ्रष्ट कर देती है ! यह गृहस्थ नागरिकों की चीज़ है ! देखिये, जिन संन्यासियों ने भी भाजपा के भटकावे में आकर राजनीति की राह पकड़ी वे किसतरह चारित्रिक पतन और पाप के पंक-कुंड में जा गिरे हैं !

(16मार्च, 2020)

No comments:

Post a Comment