परम आदरनीय न्यायमूर्ति अरुण मिश्राजी,
चरनों में मत्था टेकूँ !
महामहिम ! मैं तो एकदम कनफुजिया गई हूँ ! अभी पिछले दिनों आप टेलिकॉम कम्पनियों द्वारा सरकार को बकाया भुगतान न किये जाने के मामले में बहुत गुस्सा हो गए थे I इस देश में मनी पॉवर की ताकत पर गुस्सा जाहिर करते हुए आपने कहा था कि 'इन हालात में तो सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए ... बेहतर हो कि यह देश ही छोड़ दिया जाए !'
अब कल आपने ये सद्विचार प्रकट किये हैं कि मोदी एक बहुमुखी प्रतिभा हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोचते हैं और ज़मीनी स्तर पर काम करते हैं !
अब आप कह रहे हैं तो ठीक ही कह रहे होंगे ! आपसे हमें यह बहुमूल्य ज्ञान तो मिला कि "बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति" का काम यह होता है कि वह देश को रहने लायक ही न रहने दे ! उसका काम होता है कि मनी पॉवर को इसक़दर सुप्रीम पॉवर बना दे कि सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देने की ज़रूरत खुद जज साहिबान को महसूस होने लगे ! बाक़ी, मोदी का बहुमुखी ज्ञान तो हम आये दिन देखते-सुनते रहते हैं ! दुनिया भर घूमते हैं तो अंतरराष्ट्रीय ढंग से सोचते ही होंगे ! और उनके ज़मीनी कामों का -- नोटबंदी, जी एस टी, सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री, मंहगाई, बेरोजगारी, सी ए ए-एन पी ए-एन आर सी आदि के चमत्कारी नतीज़े तो देश देख और भुगत रहा ही है !
वैसे मोदीजी के साथ ग्रुप फोटो में आप और सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज साहिबान परम प्रफुल्लित चेहरों और खिलखिलाहटों के साथ बहुत फब रहे थे ! कस्सम से ! इसीतरह से मिलजुलकर, प्यार-मोहब्बत से देश चलाते रहिये ! मोदीजी से प्रार्थना है कि रिटायरमेंट के बाद भी आपको उचित पद पर समायोजित करके देश को आपकी भी बहुमुखी प्रतिभा से लाभान्वित होने का अवसर देते रहें ! शुभ मंगल ज्यादा सावधान !
परम श्रद्धा के साथ,
देश की एक परम तुच्छ नागरिक !
(23फरवरी, 2020)
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अगर आप सबकुछ आसानी से और तुरत-फुरत समझ जाते हैं,
अगर आप जटिल से जटिल मामले में भी तुरत फैसले पर पहुँच जाते हैं,
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. तो संभव है कि आप एक जीनियस हों, लेकिन ज्यादा संभावना यही है कि आप एक मूर्ख हों, आत्मविश्वास से भरा हुआ मूर्ख, जो और भी ख़तरनाक और असह्य होता है !
(23फरवरी, 2020)
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