मान लीजिये, आपके मोहल्ले के कोई अंकलजी किसी बात पर एकदम से फिरंट होकर पजामे से बाहर हो जाएँ और सड़क पर चीखने-चिल्लाने, उत्पात मचाने लगें तो आप धीरज से उन्हें समझाते हुए शांत होने और अपने पजामे में वापस चले जाने का अनुरोध कर सकते हैं !
लेकिन आपके मोहल्ले में अगर लट्ठ-तलवार-त्रिशूल लेकर गुण्डों का एक गिरोह घुस आये तो आप क्या करेंगे ?
मान लीजिये, आपके घर में एक भटका हुआ साँप घुस आये तो आप लाठी पटककर उसे डराकर किसीतरह से बाहर भगा सकते हैं, या वन विभाग वालों को बुलाकर उनके हवाले कर सकते हैं !
लेकिन आपही के घर के कोने के किसी बिल से सैकड़ों बिच्छू भरभराकर निकल आयें और पूरे घर में रेंगने लगें तो आप क्या करेंगे ?
मेरी बात बूझ रहे हैं न !
(22फरवरी, 2020)
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"मी लार्ड, मैंने किसी भी तरह की हिंसा या खून-खराबे की धमकी नहीं दी थी ! मैंने तो सिर्फ़ यह कहा था कि 'गोली मारिये गोदी मीडिया के एंकरों को और उनके बकवासों को, ज़िंदगी की असली समस्याओं की बात कीजिए, सरकार की नीतियों और नतीजों पर बात कीजिए !' "
"देखिये-देखिये, आप अब खुली अदालत में एंकरों को गोली मारने की बात कर रही हैं ! यह तो हद ही हो गयी !"
"मी लार्ड, मैंने गोली मारने की बात अभिधा में नहीं, व्यंजना में कही थी ! मैंने मुहावरे का इस्तेमाल किया था !"
"अभिधा को नहीं, व्यंजना को ही सही ! गोली मारने की धमकी तो आप दे ही रही हैं ! यह व्यंजना किस चैनल की एंकर है ? और आप गोली मारने के लिए मुहावरे के इस्तेमाल की बात कर रही हैं ! क्या यह किसी देसी कट्टे का नाम है या कोई नया हथियार है ?"
"जी, मैं तो यह भी कहती हूँ कि गोली मारो ऐसी न्याय व्यवस्था को !"
"अब तो आपने हद ही कर दी ! आपको फ़ौरन पुलिस रिमांड पर भेजा जाता है और आपके ऊपर धारा 294, 323, 506 के तहत मामला पंजीबद्ध किया जाता जाता है !"
(22फरवरी, 2020)
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