Friday, February 14, 2020


मुख्तार अब्बास नक़वी, शाहनवाज़ हुसैन, शाज़िया इल्मी, एम.जे.अकबर, शाही इमाम वगैरह-वगैरह को एक पुरानी, भूली-बिसरी कहानी सुनानी थी, यह जानते हुए भी कि ऐसी कहानियों से अकल पर पड़े हुए ताले नहीं खुला करते ! वे तो हथौड़े की चोट से ही खुलते हैं !

हिटलरकालीन जर्मनी में एक यहूदी नेता हुआ करता था -- मैक्स नाउमान ! वाइमार गणराज्य के समय, जब धुर-दक्षिणपंथी राजनीतिक उभार का दौर था, उसने एक जर्मन यहूदी संगठन की स्थापना की थी -- 'एसोसिएशन ऑफ़ जर्मन नेशनल ज्यूज़'! नात्सी उभार के बाद इस संगठन से जुड़े यहूदियों ने हिटलर की नीतियों का पुरजोर समर्थन किया ! ये यहूदी जर्मन पितृभूमि के प्रति अपनी वफ़ादारी बढ़-चढ़कर दिखाते थे, अपनी यहूदी पहचान को जर्मन राष्ट्रीय पहचान में पूरीतरह मिला देने का आह्वान करते थे, पूर्वी यूरोप से आये यहूदी आप्रवासियों को जर्मनी से निकाल बाहर करने की माँग करते थे और यह बताते रहते थे कि नात्सी पार्टी सिर्फ़ उन यहूदियों के ख़िलाफ़ है जिनके भीतर जर्मन राष्ट्रीय भावना नहीं है ! नाउमान और उसके अनुयाई सोचते थे कि हिटलर का बढ़-चढ़कर समर्थन करके और खुद को जर्मन अंध-राष्ट्रवाद से ओतप्रोत दिखाकर वे नात्सियों के कहर से अपनी चमड़ी बचा लेंगे ! पर ऐसा हुआ नहीं ! अपनी अतिरेकी "देशभक्ति" के बावजूद वे बच नहीं सके ! जर्मन राष्ट्रीय पहचान में यहूदी एकीकरण की उनकी आईडिया को नात्सी पार्टी ने बाद में खारिज कर दिया ! 18 नवम्बर,1935 को संगठन को गैर-क़ानूनी घोषित कर दिया गया I मैक्स नाउमान को गेस्टापो ने गिरफ्तार करके कोलम्बिया कंसंट्रेशन कैम्प भेज दिया ! 1939 में कैंसर से उसकी मौत हो गयी ! एक और नात्सी-समर्थक संगठन था -- 'जर्मन वैनगार्ड'! उसका भी यही हश्र हुआ ! नस्ली घृणा की लहर जब परवान चढी तो इसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया और इसका नेता शोएप्स स्वीडन भाग गया !

हिन्दुत्ववादी फासिस्टों की राजनीति का झंडा ढोने वाले जो मुस्लिम नेता हैं वे पदलोलुपता और अपनी चमड़ी बचाने के लिए ही शायद नाउमान और शोएप्स के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं ! हो सकता है कि कभी न कभी उनका हश्र भी वही हो जो नाउमान, शोएप्स और उनके अनुयाइयों का हुआ !

आखिर में एक दिलचस्प चुटकुला जो उनदिनों नात्सी-विरोधी लोगों के बीच खूब लोकप्रिय था ! चुटकुला यह था कि नाउमान के संगठन की मीटिंग जब समाप्त होती थी तो लोग नात्सी सलामी देते थे और नारा लगाते थे -- "हमलोग मुर्दाबाद !"

(9जनवरी, 2020)

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