इस भीषण ठण्ड में भी रंगा- बिल्ला वातानुकूलित मंत्रणा-कक्ष में पसीने से सराबोर बैठे हैं और बार-बार उठकर वाशरूम जा रहे हैं ! बाहर के हॉल में सभी दरबारी, भोंपू-चेंपू, कर्कट-दमनक, हाली-मुहाली चिंतित और चुप सटके हुए बैठे हैं !
परेशानी का सबब यह है कि मंदिर मसले पर आये आला अदालत के फैसले से बहुसंख्यक हिन्दू आबादी में में हिन्दुत्व-विजय की किसी भावना का देशव्यापी संचार हुआ ही नहीं ! उसकी चुनावी फसल भी नहीं काटी जा सकी !
कश्मीर की सारी कवायद से भी राष्ट्रवादी उन्माद नहीं पैदा हुआ ! 'पाकिस्तान-पाकिस्तान' चिल्लाने का भी अपेक्षित असर नहीं पड़ रहा है !
NRC-CAA का पूरा दाँव न सिर्फ़ उत्तर-पूर्व में, बल्कि पूरे देश में ही उलटा पड़ गया ! हिन्दू-मुसलमान ध्रुवीकरण की जगह पूरे देश में आम लोग एकजुट होकर सड़कों पर निकल आये और यह सिलसिला अविराम जारी है !
जामिया-ए एम यू-जे एन यू में पुलिसिया कहर बरपा करने का दाँव एकदम उलटा पड़ गया ! आतंकित होने के बजाय पूरे देश की युवा शक्ति लम्बे समय बाद जाग उठी और एकजुट संघर्ष के संकल्पों के साथ सड़कों पर उतर पड़ी ! आज डी यू में छात्रों-शिक्षकों का ऐतिहासिक प्रदर्शन हुआ ! देश के अन्य कैम्पसों में भी प्रदर्शन लगातार जारी हैं ! फासिस्टों के चमचे प्रशासक माँदों में दुबके हुए हैं ! एक ख़ास बात यह है कि इस बार छात्रों के साथ नागरिकों, बुद्धिजीवियों और शिक्षकों की भारी आबादी भी सड़कों पर है ! सिने जगत की कई जानी मानी हस्तियाँ भी समर्थन में सड़कों पर उतरी हैं !
आज की देशव्यापी हड़ताल अभूतपूर्व रूप से सफल रही I मज़दूर वर्ग अपनी बुनियादी मांगों को लेकर और अपने बुनियादी अधिकारों पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरा ! निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों के साथ ही उसने NRC-CAA के ख़िलाफ़ भी पुरजोर तरीके से आवाज़ बुलंद की ! एक ख़ास बात यह रही कि इस देशव्यापी हड़ताल को छात्रों-युवाओं और आम मध्यवर्गीय आबादी का भी व्यापक साथ मिला ! माहौल कुछ वैसा ही बनता दीख रहा है जैसा साठ के दशक के उत्तरार्द्ध और सत्तर के दशक के पूर्वार्द्ध में पूरे देश में था I बल्कि हालात उससे भी अधिक विस्फोटक बनते दीख रहे हैं !अब ज़रूरत इस बात की है,और बेशक यह एक बड़ी चुनौती भी है, कि एकदिनी रस्मी हड़ताल से आगे बढ़कर मज़दूर वर्ग लम्बे जुझारू संघर्षों में उतरने की तैयारी किस प्रकार करे !
दिल्ली की शाहीन बाग़ की स्त्रियाँ हफ़्तों से सड़क पर बस्ती बसाकर परिवारों के साथ बैठी हैं ! और अब कोलकाता के पार्क सर्कस में भी स्त्रियों ने इसीतरह डेरा डाल दिया है ! जन-प्रतिरोध का यह स्वरूप अत्यंत महत्वपूर्ण है ! इसके और अधिक जगहों पर विस्तार की संभावना है और इसकी भरपूर कोशिश की भी जानी चाहिए !
रंगा-बिल्ला की एक बड़ी चिंता यह है कि जनता की चेतना के उठान का यही सिलसिला अगर जारी रहा तो आगे के चुनावों में चयनात्मक तरीके से भी ई वी एम का खेल वे नहीं खेल पायेंगे ! अगर वे ऐसा करेंगे तो अवाम का सैलाब सडकों पर उमड़ पड़ेगा !
पूरी संभावना है कि NRC की तैयारी और पहले कदम के तौर पर NPR का जो काम अप्रैल से शुरू होने वाला है, उसका लोग बड़े पैमाने पर बहिष्कार करें ! यह होना भी चाहिए ! इसके लिए देशव्यापी मुहिम चलाई जानी चाहिए !
रंग-बिल्ला, उनके दरबारी और सलाहकार बदहवास हैं ! बदहवासी में वे आने वाले दिनों में और अधिक षड्यंत्र रचेंगे, और अधिक खूनी मुहिमों को अंजाम देने की कोशिश करेंगे, अपने आतंक-राज के अँधेरे को और अधिक गहरा करने की कोशिश करेंगे ! जनता की सतर्कता और सक्रियता लगातार बनी रहे, इसके लिए हर संभव काम निरंतर जारी रखना होगा ! अत्याचारियों के हथियारों के बड़े से बड़े जखीरे भी जन-संघर्षों के समंदर में डूब जाते हैं ! लेकिन अभी सावधान तो रहना ही होगा ! वर्तमान आन्दोलन स्वतःस्फूर्त ढंग से उभड़ा है, अतः इसे सुसंगठित-सुनियोजित रूप देना ज़रूरी है ! ऐसा करने की कोशिश में एक नया क्रांतिकारी नेतृत्व तैयार और प्रशिक्षित होगा जो इस आन्दोलन को एक सुदीर्घ क्रांतिकारी बदलाव की प्रक्रिया की कड़ी बना पाने में सफल भी हो सकता है !
(8जनवरी, 2020)
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