आर एस एस की यही हज़ारों शाखाएँ वे कारखाने हैं जहाँ गोपाल शर्मा जैसे जोम्बी तैयार किये जाते हैं ! छोटे-छोटे बच्चों को धर्मान्धता और अतिराष्ट्रवाद की ऐसी घुट्टी पिलाई जाती है कि वे उन्मादी भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ! इसतरह बर्बरों की एक फौज तैयार की जाती है जो विश्वविद्यालयों और पुस्तकालयों पर हमले करते हैं, दंगे और मॉब लिंचिंग करते हैं, पार्कों में प्रेमी जोड़ों को दौडाते हैं और गुजरात-2002 जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं ! गोपाल शर्मा जैसे हज़ारों हैं और उनके पीछे संघ के थिंक टैंक और प्रचारक हैं, भाजपा के नेता हैं, मीडिया के उन्मादी, गोएबल्स की जारज संतानें हैं ! अब पुलिस बल, नौकरशाही और न्यायपालिका में भी संघी घुसपैठ हो चुकी है, इनके बड़े हिस्से का साम्प्रदायीकरण हो चुका है ! इसतरह एक धुर-प्रतिक्रियावादी सामाजिक आन्दोलन खड़ा किया गया है, जिसके पीछे पूँजी और सत्ता की ताक़त मुस्तैद खड़ी है ! इसलिए हम कहते हैं कि फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई सरकार बदलने की नहीं, बल्कि व्यवस्था बदलने की है ! यह लम्बी और कठिन लड़ाई है ! हमें मेहनतक़शों और मध्य वर्ग के जुझारू प्रगतिशील युवाओं के दस्ते संगठित करने होंगे ! हमें फासीवाद के घोर प्रतिगामी सामाजिक आन्दोलन को शिकस्त देने के लिए आम मेहनतक़श अवाम का प्रगतिशील सामाजिक आन्दोलन तृणमूल स्तर से खड़ा करना होगा ! देश एक ज्वालामुखी के दहाने की और लुढ़कता जा रहा है ! इसे बचाने का रास्ता एक कठिन सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष का रास्ता है जो मेहनत, क़ुरबानी और हिम्मत की माँग करता है !
(31जनवरी, 2020)
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