स्त्रियाँ आगे आ रही हैं ! वे पहल अपने हाथों में ले रही हैं ! देश के तमाम शाहीन बागों में उनकी संख्या देखिये ! सड़कों पर उमड़ती भीड़ में उनकी संख्या देखिये ! कैम्पसों से उठते ज्वार में उनकी भागीदारी देखिये ! उनकी बातें सुनिए ! उनकी राजनीतिक समझ की स्पष्टता पर, उनकी निर्भीकता पर गौर कीजिए !
देश की आधी आबादी की ऐसी भागीदारी आज़ाद भारत में पहले कभी नहीं देखी गयी ! यह जागरण इतिहास के करवट बदलने का एक संकेत है ! स्त्रियाँ अगर संघर्ष की अगली कतारों में आ जाएँ तो जालिम से जालिम हुक्मरानों की भी शामत आ जाती है !
स्त्रियाँ एक बार फिर साबित कर रही हैं कि सभागारों और शोध-पत्रों में 'स्त्री बनाम पुरुष' की अनर्गल बहसों और 'आइडेंटिटी पॉलिटिक्स' के अकर्मक अकादमिक विमर्शों से पितृसत्ता का दुर्ग नहीं ध्वस्त होने वाला ! आधी आबादी सामाजिक मुक्ति के संघर्षों में भागीदारी करते हुए अपनी मुक्ति हासिल करती हैं ! स्त्रियाँ सामाजिक मुक्ति के लिए लड़ते हुए स्वयं को भी मुक्त कर रही हैं !
(20जनवरी, 2020)
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शाहीन बाग पहले एक संज्ञा था ।
अब वह संज्ञा है और सर्वनाम और क्रिया भी ।
शाहीन बाग कर्ता भी है और कर्म भी ।
(22जनवरी, 2020)
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