Friday, September 20, 2019

तानाशाह जो करता है!

तानाशाह जो करता है!

लाखों इंसानों को हाँका लगाकर जंगल से खदेड़ने
और हज़ारों का मचान बाँधकर शिकार करने के बाद
तानाशाह कुछ आदिवासियों को राजधानी बुलाता है
और सींगों वाली टोपी और अंगरखा पहनकर उनके साथ नाचता है
और नगाड़ा बजाता है ।

बीस लाख लोगों को अनागरिक घोषित करके तानाशाह उनके लिए
बड़े-बड़े कंसंट्रेशन कैम्प बनवाता है
और फिर घोषित करता है कि
जनता ही जनार्दन है ।

एक विशाल प्रदेश को जेलखाना बनाने के बाद तानाशाह बताता है कि
मनुष्य पैदा हुआ है मुक्त
और मुक्त होकर जीना ही
उसके जीवन की अंतिम सार्थकता है ।

लाखों बच्चों को अनाथ बनाने के बाद तानाशाह कुछ बच्चों के साथ
पतंग उड़ाता है ।

हज़ारों स्त्रियों को ज़ुल्म और वहशीपन का शिकार बनाने के बाद तानाशाह अपने
महल के बारजे से कबूतर उड़ाता है,
सड़कों पर खून की नदियाँ बहाने के बाद
कवियों-कलावंतों को पुरस्कार और
सम्मान बाँटता है ।

तानाशाह ऐसे चुनाव करवाता है जिसमें हमेशा वही चुना जाता है,
ऐसी जाँचें करवाता है कि
अपराध का शिकार ही अपराधी
सिद्ध हो जाता है
ऐसे न्याय करवाता है कि वह तमाम हत्यारों के साथ खुद
बेदाग़ बरी हो जाता है ।
तानाशाह रोज़ सुबह संविधान का पन्ना
फाड़कर अपना पिछवाड़ा पोंछता है
और फिर बाहर निकलकर लोकतंत्र,संविधान, न्याय और इस देश की जनता में
अपनी अटूट निष्ठा प्रकट करता है ।

तानाशाह अपने हर जन्मदिन पर
लोगों की ज़िन्दगी से कुछ रंगों को
निकाल बाहर करता है
और फिर सुदूर जंगलों से बक्सों में भरकर लाई गई
रंग-बिरंगी तितलियों को राजधानी की
ज़हरीली हवा में आज़ाद करता है ।

इसतरह तानाशाह सभी मानवीय, सुंदर और उदात्त क्रियाओं और चीजों को,
नागरिक जीवन की सभी स्वाभाविकताओं को,
सभी सहज-सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को
संदिग्ध बना देता है ।
संदेह में जीते हुए लोग उम्मीदों, सपनों और भविष्य पर भी
संदेह करने लगते हैं
और जबतक वे ऐसा करते रहते हैं
उन्हें तानाशाह की सत्ता का अस्तित्व
असंदिग्ध लगता रहता है ।

(17मार्च, 2019)

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