Wednesday, July 31, 2019


'सच तो यह है कि मैं समस्त देव-मण्डल से घृणा करता हूँ'

यह सुप्रसिद्ध कथा तो सभी साहित्य और इतिहास के सुधी अध्येता जानते ही होंगे, पर फिर भी मैं यह कथा कहूँगी I कई बार, जब आप बहुश्रुत कथा को फिर-फिर कहते हैं तो खुद को वह कहानी सुना रहे होते हैं I

एक महान ग्रीक ट्रेजेडी है 'प्रोमेथियस बाउंड' जिसके सर्जक हैं ईस्खिलस I प्रोमेथियस स्वयं एक देवता था पर वह मानव जाति के लिए आग चुराकर धरती पर लाया था I इसके लिए ओलंपियन देवताओं के राजा पितर जीयस ने उसे दंड दिया था कि वह काकानुस पर्वत की सबसे ऊँची चट्टान पर अनंत काल तक एक चट्टान से ज़ंजीरों से बंधा रहेगा और एक गिद्ध उसका जिगर नोच-नोचकर खाता रहेगा I जब जिगर खत्म हो जाएगा तो फिर से नया जिगर बन जायेगा और फिर गिद्ध उसे अनंत काल तक खाता रहेगा I जीयस ने फिर हेरमस को प्रोमेथियस के पास उसे समझाने के लिए भेजा कि असह्य-अनंत यंत्रणा से मुक्ति के लिए वह देवताओं से समझौता कर ले और जीयस से क्षमा माँग ले I चट्टान से बंधे प्रोमेथियस ने हेरमस से कहा,"विश्वास करो, मैं अपनी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के बदले तुम्हारी सेवक जैसी स्थिति कभी स्वीकार नहीं करूँगा I मैं पितर जीयस की ताबेदारी करने की जगह इस चट्टान से बंधे रहना बेहतर समझता हूँ I" प्रोमेथियस ने आगे कहा,"सच तो यह है कि मैं समस्त देव-मंडल से घृणा करता हूँ!"

यह अनायास नहीं कि प्रोमेथियस कार्ल मार्क्स का सर्वाधिक प्रिय मिथकीय नायक था और ईस्खिलस उनके एक पसंदीदा ग्रीक त्रासदीकार थे I जिन मार्क्सवादियों के लिए मार्क्सवाद सिर्फ़ बौद्धिक विमर्श की एक चीज़ होती है, वे प्रोमेथियस को अपना नायक नहीं मान सकते I व्यवहारवादी, किताबी, पंडिताऊ और समझौतापरस्त कथित कम्युनिस्टों के दिल से कभी प्रोमेथियस जैसी आवाज़ निकलती ही नहीं होगी ! चोचल ढेलोक्रेट और लिबडल लोग ऐसी बातों को ज़िंदगी में उतारना नामुमकिन मानते हैं !

साहित्य-संस्कृति की "स्वर्गोपम" दुनिया के देवताओं से अक्सर मेरा मिलना हो ही जाता है ! मैं उन्हें सादर नमस्कार करती हूँ और मन ही मन दुहराती हूँ,"सच यह है कि मैं सभी देव-मंडलों से घृणा करती हूँ और करती रहूँगी !"

(8जुलाई, 2019)

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