जी, मैं एन.जी.ओ. ब्राण्ड सुधारवाद से तहे-दिल से नफ़रत करती हूँ ! जब हक छीने जा रहे हों और लोग कुचले जा रहे हों तो अवाम को अपने हक के लिए लड़ने की शिक्षा देने और राह बताने की जगह राहतें बाँटने वाले, मलहम लगाने वाले, तसल्ली देने वाले लोग सबसे कुटिल और बदमाश लगते हैं ! दया, करुणा, रहम,,, --- ये सभी शब्द एक शोषण-उत्पीडन भरी दुनिया में गू के माफिक घिनौने लगते हैं ! अन्याय से भरी दुनिया में सबसे मानवीय, सबसे उदात्त, सबसे सुन्दर शब्द है संघर्ष, हर कीमत पर संघर्ष ! जब ज़ुल्मों की धारासार बारिश हो रही हो तो तनकर खडा होने से सुन्दर इंसान की कोई मुद्रा नहीं हो सकती ! शांतिवाद जनता को निश्शस्त्र और बेबस बनाता है !
लुटेरों से ही ग्रांट लेकर गरीबों में राहत बाँटने वाले ये लोग मासूम और मानवतावादी नहीं हैं ! ये रोटी और सुविधाओं की खातिर बिक चुके लोग हैं ! जो जनता को अपने हक के लिए लड़ने की जगह राहत और दान पर जीने का आदी बनाता है, वह जनता का सबसे खतरनाक दुश्मन है ! वह भिखमंगे से भी गया-गुजरा है ! वह धनपतियों के दुआरे हड्डी अगोरता बैठा खजुहा कुत्ता है !
आश्चर्य नहीं कि एन.जी.ओ. पंथ के अन्तःपुरों से लेकर गलियों-कूचों तक चक्कर लगाते लोगों में आपको रिटायर्ड और छद्म-वामपंथी बहुतायत में देखने को मिल जायेंगे ! वाम आन्दोलन के भगोड़े और पथ-च्युत लोग आम लोगों में निराशा और संशय फैलाने वाले और संभ्रम-दिग्भ्रम-मतिभ्रम पैदा करने वाले सांघातिक विषाणु होते हैं !
(21जून, 2019)
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