Tuesday, January 15, 2019


आत्मकेन्द्रित स्वार्थी लोगों, कायरों और अकर्मण्यों के लिए उम्मीद झूठी दिलासा देने वाला एक शब्द होता है !

कमज़ोर लोग जीवन को सपाट मैदान में सीधी-सरल राह पर चलने वाली चीज़ समझते हैं ! वे अनुभववादी प्रत्यक्षवादी होते हैं I वे बहुत जल्दी ज़रूरत से ज्यादा, या आधारहीन उम्मीद पाल लेते हैं और फिर बहुत जल्दी ही नाउम्मीद हो जाते हैं, रोने-बिसूरने, छाती पीटने, कोसने-सरापने और महाविनाश की भविष्यवाणी करने लगते हैं I

युयुत्सु कर्मशीलों के लिए उम्मीद का अर्थ विश्वास होता है : इतिहास की गति में विश्वास, मनुष्यता के भविष्य में विश्वास, आम लोगों की इतिहास-निर्मात्री शक्ति में विश्वास और स्वयं अपने ऊपर विश्वास !

यह उम्मीद, यह विश्वास उन्हें यूँ ही नहीं, बल्कि 'जन-संग-ऊष्मा' से हासिल होता है और गहन बौद्धिक-वैचारिक अध्यवसाय से अर्जित आलोचनात्मक विवेक से हासिल होता है !

इस हद तक, और इस रूप में आशावादी बनाना आसान नहीं होता I 'तपी ज़िंदगी के पठार के कड़े कोस' की कठिन दूरियाँ तय करने के बाद ही कोई इस क़दर आशावादी हो पाता है कि पराजय, ठहराव, उलटाव और प्रतिक्रिया के प्रेतों के श्मशानी नृत्य के ऐतिहासिक दौर में भी बिना विचलित और दिग्भ्रमित हुए, एकनिष्ठ भाव से सामाजिक बदलाव के अपने मोर्चे पर सन्नद्ध बना रहता है !

(13जनवरी, 2019)








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