Saturday, January 26, 2019


मैंने यहाँ तुम्हारा इंतज़ार किया है

भोर के नम किनारों पर

और देखा है कि कैसे तुम आई हर चीज़ को अपने प्रभाव में लेते हुए

और मैंने अपने बदन पर महसूस किया तुम्हारे हाथों के ज्वर को और जाना

कि तुम यहाँ हो और जाना कि किसतरह तुम आहिस्ता-आहिस्ता, लरजते हुए

मेरे पास आती चली गयी भविष्यवाणी की तरह, जैसे सम्मोहन-सा रचते हुए

जैसे जल उठा हो कोई वन-खंड सागर की छाती पर

जैसे परिंदों की उड़ान धरती पर पहुँचती हुई

--- डेविड हुएर्ता ('गर्मियों का कुहासा' कविता का एक अंश)
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(मेक्सिकन कवि डेविड हुएर्ता पाब्लो नेरूदा की उत्तरवर्ती पीढ़ी के उन लैटिन अमेरिकी कवियों में अग्रणी हैं जो प्यार और क्रांति की कविताएँ लिखने के मामले में नेरूदा के वारिस माने जाते हैं। एक और जहाँ हुएर्ता की कविता में अन्याय और उत्पीड़न के विरुद्ध दुर्दम्य विद्रोह के स्वर हैं, वहीं उनकी प्यार-विषयक कविताओं में विस्फोटक, लेकिन उदात्त ऐंद्रिकता का आवेग है I प्रस्तुत कवितांश भी इसी तथ्य की गवाही देता है।)




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मैंने गीत सुने मृत शरीरों के बागीचे में :

गीत, जैसे किसी नशे ने गिरफ़्त में ले लिया हो।

मैंने सोचा र्रोसे सेलावी* के दोहरे सपने के बारे में।

संगीत के हृदय से गुज़रा मैं टटोलते हुए,

और महसूस किया भूख के मूक, चुम्बकीय घेरे को,

और देखा प्यास का सिंहासन काई-शैवाल से मढ़ा हुआ।

मैं गुज़रा पोस्ता की खड़ी फसलों के बीच से

और पहन लिए मैंने दुस्वप्नों के दस्ताने

-- डेविड हुएर्ता
(Early Poems की एक शीर्षकहीन कविता)

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