Monday, November 05, 2018

साधारण के पीछे का रहस्यमय-रोमांचक गुप्त असाधारण

साधारण के पीछे का रहस्यमय-रोमांचक गुप्त असाधारण

किचन के बर्तनों में, डिब्बों और शीशियों में कुछ ढूँढ़ते हुए

वह खुद भी नहीं जानती कि क्यों उसे लगता रहता है

कि वह कुछ षड्यंत्र कर रही है

दीवारों के ख़िलाफ़

या कि सुकूनतलब ज़िन्दगी के ख़िलाफ़ |

वह नहीं जानती कि क्यों सुबह सहसा याद आये

अपने बीस वर्षों पुराने प्यार के बारे में

वह इससमय फिर सोचने लगी है अनायास 

जो वह सबसे छुपा लेने में सफल रही थी |

वह अभी भी चाँद से आधी रात को

कुछ गुफ़्तगू करने के बारे में सोचती है 

और उसका पति बिस्तर में उसका इंतज़ार करता है

जल्दी से सेक्स करके सो जाने के लिए

क्योंकि कल सुबह उसे जल्दी उठना है

और कई ज़रूरी काम निपटाने हैं

दफ़्तर जाने से पहले |

वह खुद से भी छुपाती रहती है

अपने बेहद ख़तरनाक इरादों को,

पागलपन भरी योजनाओं को,

अविश्वसनीय मंसूबों को

और भोर की उड़ान के सपनों को |

जब वह सबसे विश्वसनीय और निरीह लगती है

तब उसके ज़ेहन में सबसे भयंकर साज़िशें

सुगबुगा रही होती हैं |

जब वह एकदम पालतू लगती है

तब वह एक मोटर बोट लेकर

सुदूर समुद्र में निकल जाने के बारे में

भरोसे के साथ सोच रही होती है |

घर को सजाते-सँवारते समय वह उसे

डायनामाइट से उड़ा देने के बारे में सोच रही होती है |

बच्चों के बारे में वह अक्सर सोचती है कि

उन्हें उड़ने के लिए सही समय पर बाहर धकेल देगी

जैसे पक्षी अपने बच्चों के साथ करते हैं |

इधर जबसे वह कुछ पढ़ने-लिखने लगी है,

एक लायब्रेरी में बैठने लगी है,

एक फिल्म क्लब की सदस्य हो गयी है,

थियेटर करने के बारे में सोचने लगी है फिर से,

कुछ धरना-प्रदर्शनों में जाने लगी है

और घर से बाहर अपनी दुनिया फैलाने लगी है,

बहुत कुछ अजीब खयालात आने लगे हैं

और अजीब घटनाएँ घटने लगी हैं |

हालाँकि यह अभी अपवाद है

पर अपवाद भी अगर समय से

मौत के शिकार न हो जाएँ तो कालान्तर में

अपने विपरीत में बदल जाते हैं

और आम प्रवृत्ति बन जाते हैं|

कभी-कभी तो आधी रात को अचानक उठकर

वह याद करने लगती है कि

यह जो मोटा, भदभद, तुंदियल

बिस्तर पर चित्त पड़ा

नाक से घनगर्जन कर रहा है

मूँछों को फड़फड़ाता हुआ,

यह कौन है और यहाँ कर क्या रहा है !

(4नवम्‍बर,2018)

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