Sunday, September 23, 2018


.... ... जीवन और जगत के बहुआयामी यथार्थ को एक बने-बनाये साँचे में ढालकर यांत्रिक रूप से प्रस्तुत करने के बजाय जब हम एक नए ढंग से व्यष्टि और समष्टि के संबंधों को समझते हुए उस यथार्थ को सामने लाते हैं --- चाहे साहित्य और कलाओं के रूप में, चाहे दर्शन और विज्ञान के रूप में, चाहे राजनीतिक और सामाजिक कार्यों के रूप में --- तब हम अपनी सृजनशीलता का परिचय देते हैं I सृजनशीलता नए ढंग से कुछ करने में दिखाई देती है I लेकिन यह नयापन फैशन जैसा नयापन नहीं है, ऐतिहासिक नयापन होना चाहिए I दूसरे शब्दों में कहें तो, सृजनशीलता ऐतिहासिक नवीनता में होती है I

-- गोविन्द पुरुषोत्तम देशपाण्डे
( मराठी नाटककार और वामपंथी चिन्तक )

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