देर रात के राग
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Wednesday, September 26, 2018
बहुसंख्यक आबादी की ज़िन्दगी, जद्दोज़हद और सपनों से मुँह मोड़कर जो अपनी ज़िन्दगी सँवारने की जद्दोज़हद करते हैं और जिनके सपने सिर्फ़ अपने के लिए होते हैं, वे जालिम हुकूमतों के मददगार होते हैं, जाने-अनजाने और चाहे-अनचाहे।
(18सितम्बर,2018)
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