ज़िज़ेक के चिंतन में भले ही अराजकता और अंतरविरोध हों, पर उनकी कुछ बातें जब बद्धमूल भारतीय संस्कारों पर हथौड़े से चोट करती हैं तो अच्छा लगता है I जैसेकि उनकी यह उक्ति :
"प्यार वह है जो सेक्स को हस्तमैथुन से अलग बनाता है I अगर प्यार नहीं है तो तुम यदि वास्तव में एक पार्टनर के साथ भी होते हो, तो उस पार्टनर के साथ हस्तमैथुन कर रहे होते हो I"
--- स्लावोज ज़िज़ेक
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