देर रात के राग
Pages
मुखपृष्ठ
डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
कला-दीर्घा
कन्सर्ट
मेरी कविताई: जीवन की धुनाई, विचारों की कताई, सपनों की बुनाई
मेरे प्रिय उद्धरण और कृति-अंश : कुतुबनुमा से दिशा दिखाते, राह बताते शब्द
मेरी प्रिय कविताएं: क्षितिज पर जलती मशालें दण्डद्वीप से दिखती हुई
देश-काल-समाज: वाद-विवाद-संवाद
विविधा: इधर-उधर से कुछ ज़़रूरी सामग्री
जीवनदृष्टि-इतिहासबोध
Friday, February 09, 2018
मैं इस ख़ातिर नहीं जीता कि दुनिया मेरे बारे में क्या सोचती है, बल्कि इस खातिर जीता हूँ कि मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ I
--- जैक लंडन
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment