चीखते-चिल्लाते महत्वोन्मादियों , गुंडों , शैतानों और स्वेच्छाचारियों की यह फ़ौज जो फासीवाद के ऊपरी आवरण का निर्माण करती है , उसके पीछे वित्तीय पूंजीवाद के अगुवा बैठे हैं , जो बहुत ही शांत भाव , साफ़ सोच और बुद्धिमानी के साथ इस फ़ौज का संचालन करते हैं और इनका ख़र्चा उठाते हैं । फासीवाद के शोर-शराबे और काल्पनिक विचारधारा की जगह उसके पीछे काम करने वाली यही प्रणाली हमारी चिंता का विषय है । और इसकी विचारधारा को लेकर जो भारी-भरकम बातें कही जा रही हैं उनका महत्व पहली बात , यानी घनघोर संकट की स्थितियों में कमज़ोर होते पूंजीवाद को टिकाये रहने की असली कार्यप्रणाली के संदर्भ में ही है ।
--- रजनी पाम दत्त
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