Thursday, May 18, 2017




एक बुत की इच्छा
आवाज़ .
चाहे कुछ बाक़ी न रहे आवाज़ के सिवा .
ख़ुशबू
चाहे कुछ बाक़ी न रहे ख़ुशबू के सिवा
पर किसी तरह छुड़ाओ मेरे अंदर से
पुरानी यादें पुराने रंग
तकलीफ़.
बरक्स तिलिस्मी और जीवंत तकलीफ़ के .
संघर्ष .
सच्चा, मैला संघर्ष .
पर भगाओ इन अदृश्य लोगों को
जो डोलते फिरते हैं मेरे घर में हरदम !
---फ़ेदेरीको गार्सीया लोर्का

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