देर रात के राग
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Thursday, July 07, 2011
अन्वेषण
हज़ारों वर्षों में
करोड़ों निकले
ज्ञान की तलाश में।
कुछ ही पहुंचे
अपने समय में
उसके प्रवाह तक ।
भटककर
कुछ जा पहुंचे
उदगम तक
बढ़े फिर धारा के साथ-साथ
आगे।
-कात्यायनी
1 comment:
डॉ. मोनिका शर्मा
7 July 2011 at 23:55
Bemisal Panktiyan... Padhwane ka Abhar
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