Monday, August 11, 2025

ज़ुल्म की बारिश के दिनों में प्यार की बातें


आतंक और निराशा के 

ऐतिहासिक दिनों से गुज़रते हुए

एक दिन मैंने पूछा उससे, तुम प्यार में 

कब पड़े पहली बार

और फिर कितनी बार? 

उसने बताया कि वह प्यार में पड़ता नहीं, 

उठता रहा। 

जब भी पड़ने को हुआ प्यार में, 

प्यार ने उसे ऊपर उठा दिया

और ऊँचाई से ज़िन्दगी उसे 

और साफ़ नज़र आने लगी। 

फिर बताया उसने कि

प्यार करने की चन्द सफलताओं 

और बहुतेरी विफलताओं के बीच

वह आम लोगों से उम्मीदों और सपनों की

सौगातें हासिल करता रहा

और ज़िन्दगी को प्यार करना सीखता रहा

जैसे इंसाफ़ को और आज़ादी को प्यार करते हैं

 ग़ज़्ज़ा के रहवासी 

मौत की दिन-रात जारी बारिश के बीच।

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(11 Aug 2025)


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