--पाब्लो नेरुदा
हम जिन्होंने अपनी आत्मा पत्थर में
लोहे में, कठोर अनुशासन में प्रतिष्ठित की,
हम सिर्फ प्यार में जीवित रहे,
और लोग खूब जानते हैं कि हमने अपना रक्त बहाया
जब ग्रहण के उदास चन्द्रमा ने
तारे का रूप विकृत किया।
अब तुम देखोगे कौन हैं हम और क्या सोचते हैं हम।
अब तुम देखोगे हम क्या हैं और क्या होंगे।
हम पृथ्वी की शुद्ध चाँदी हैं,
आदमी की सच्ची धातु।
हममें सागर की निरंतर गति है,
हममें सारी आशा की शक्ति मूर्तिमान होती है।
अंधकार का एक क्षण हमें अंधा नहीं बना पाता।
कुछ भी पीड़ा के बिना हम मृत्यु का वरण करेंगे।
(अनुवाद:चन्द्रबली सिंह)
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