Sunday, February 16, 2025

कला के भविष्य की चिन्ता

 साहित्य अकादमी में दिन भर कविता में प्रेम की अलौकिकता के दर्शन और सौन्दर्यशास्त्र पर गहन विमर्श हुआ। 

शाम को जब सभी साहित्य-चिन्तक और कविगण बाहर आये तो आसमान में बर्बरता के घने बादल छाये थे और आतंक की मूसलाधार बारिश हो रही थी। 

तब अकादमी के अध्यक्ष ख़ुद बाहर आये और हरेक अतिथि को एक-एक इन्द्रधनुषी छाता और सुन्दर बरसाती जूतों की जोड़ी देते हुए बोले, "ऐसी बारिश में आप सभी महानुभावों का सुरक्षित घर पहुँचना ज़रूरी है कला के भविष्य के लिए।"

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(16 Feb 2025)

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