Tuesday, February 20, 2024

बयान कर दो या भुला दो


बयान कर दो या भुला दो 

ज़िन्दगी की हर सच्ची कहानी को 

हिम्मत जुटाकर बयान कर देना 

दिल को एक बोझ से मुक्त कर देता है।

हालाँकि आसान नहीं होता 

ऐसे एक-एक बोझ को उतार फेंकना।

सच्ची कहानियांँ या तो भूल जानी चाहिए 

या सुना देनी चाहिए 

नहीं तो वे चुपचाप सुलगती रहती हैं, 

दिल में राख की ढेरी 

इकट्ठा होती रहती है 

और धुएँ से नज़रें कड़वाती रहती हैं।

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(20 Feb 2024)

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