बयान कर दो या भुला दो
ज़िन्दगी की हर सच्ची कहानी को
हिम्मत जुटाकर बयान कर देना
दिल को एक बोझ से मुक्त कर देता है।
हालाँकि आसान नहीं होता
ऐसे एक-एक बोझ को उतार फेंकना।
सच्ची कहानियांँ या तो भूल जानी चाहिए
या सुना देनी चाहिए
नहीं तो वे चुपचाप सुलगती रहती हैं,
दिल में राख की ढेरी
इकट्ठा होती रहती है
और धुएँ से नज़रें कड़वाती रहती हैं।
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(20 Feb 2024)
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