Wednesday, May 05, 2021

मेटामार्फोसिस (इक्कीसवीं सदी)


 मेटामार्फोसिस (इक्कीसवीं सदी)

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एक तिलचट्टा था । दूसरे तिलचट्टों जैसा ही डरपोक, गंदगी का प्रेमी, लेकिन महत्वाकांक्षी। किचन से अधिक वक़्त किताबों की अलमारी में बिताता था। 

किताबों के बीच छिपा-छिपा कई छोटे-बड़े शहरों से होता हुआ वह दिल्ली आ गया । कविता से लेकर इतिहास और दर्शन की किताबों में छिपा हुआ वह साहित्य अकादमी, दरियागंज, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर -- सभी जगहों के चक्कर काटता रहा ।

एक सुबह जब वह उठा तो काफ़ी देर तक भ्रम और परेशानी में पड़े रहने के बाद, उसे अपने भीतर आये बदलाव का बोध हो गया । उसने पाया कि वह फ़्रांज काफ़्का है !

5 May 2021

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