Friday, January 22, 2021

परिवार में जुझारू जनवाद का एक उदाहरण


 

बहुत दिनों बाद उनके घर गयी थी । वह एक जिम में इंस्ट्रक्टर हैं । पत्नी मार्शल आर्ट सिखाती हैं, ब्लैक बेल्ट-धारिणी हैं ।

जब मैं पहुँची तो देखा कि वह गले में पट्टा बाँधे और एक हाथ में क्रेप बैण्डेज लगाये सामने के स्टूल पर पैर फैलाए धूप सेंक रहे थे । मुझे देखकर बहुत खुश  हुए और पत्नी को आवाज़ लगाई । पत्नी धीरे-धीरे लँगड़ाती हुई आईं, मुझे देख ख़ुश हुईं और कराहती हुई बैठ गयीं । स्थितियाँ रात के युद्ध की भयंकरता का स्पष्ट आभास दे रही थीं ।

यह कोई नयी या छुपी-ढँकी बात नहीं थी । हफ़्ते में दो-चार बार हल्की झड़पें हो ही जाती थीं । अक्सर भीषण युद्ध भी भड़क उठता था । कभी एक पक्ष ज्यादा क्षतिग्रस्त होता था तो कभी दूसरा, और कभी जोड़ बराबर का छूटता था ।

 युद्धोपरांत दोनों योद्धा एक-दूसरे की युद्धनीति की समीक्षा और समाहार भी करते थे और ग़लतियाँ-कमज़ोरियाँ बताते थे । मरहम-पट्टी की ज़रूरत हो तो साथ ही जाते थे ।

मैंने कुशल-क्षेम पूछी तो पत्नी ने कहा,"पीकर लुढ़कते-पढ़कते आया रात को । सो मैंने ठीक से कूट दिया । अरे पीना ही है तो मेरे साथ बैठकर पी । और हाँ, औकात में पी, मेरी तरह ! दीदी, मैं कभी बहकती नहीं, पाँच पेग से आगे जाती नहीं और बस इसी नासपीटे के साथ पीती हूँ । यह मुआ अगर कहीं और से टुन्न होकर आयेगा तो सुताई तो होगी ही ।"

प्रतिवाद करते हुए पति ने कहा,"अरे साथी, महीने में एकाध बार दोस्तों के साथ तो बैठना तो पड़ता ही है न ! यह बात इस कठदिमाग़ कुत्ती को कैसे समझाऊँ ! माना कि इश्क़ करके शादी की, पर अब सात साल हो गये, इसका इश्क़ का बुखार उतरता ही नहीं । कुत्ते की तरह पट्टा डालकर रखना चाहती है ।"

"ओ बुड्ढे लोमड़ ! तुझे तो खजुही कुतिया न पूछे । पर पट्टा तो डाले रहूँगी बेटा ! मज़ाक है ! भगाकर लाई हूँ । देखा, रात कैसी मरम्मत की ! अब तेरी ताक़त ढल रही है, औक़ात में रहा कर ! अगर इधर-उधर मुँह मारेगा तो मारकर पकाकर खा जाऊँगी ।"

पति ने फ़ौरन प्रतिवाद किया,"अरी निगोड़ी कमीनी, वो तो मैंने थोड़ी ज्यादा चढ़ा ली थी, सो तू भारी पड़ गयी । वरना  ब्लैक बेल्ट की सारी हनक निकाल कर खूब सेवा कर देता । बुड्ढी तो तू हो रही है भूतनी ! अच्छा चल, पहले बढ़िया चाय बना गुड़, अदरक, तुलसी डालके । और पकौड़े तल ले थोड़े । साथी इतने दिनों बाद आईं हैं । आवभगत कर ठीक से । और देख, आज मैं हाथ न बँटा पाऊँगा । हाथ और गर्दन में बहुत दर्द है । हरामजादी, तूने धोखे से वार कर दिया था ।"

पत्नी के जाते ही पति ने कहा,"साथी, हमलोगों का महाभारत तो पूरे मुहल्ले और रिश्तेदारों तक में चर्चा का विषय रहता है, लेकिन यहाँ नारी उत्पीड़न का कोई मामला नहीं है । पति-उत्पीड़न जैसी भी कोई चीज़ नहीं है । एकदम बराबरी है ! पूरा जनवाद है । और यह एकदम जुझारू, एकदम रैडिकल क़िस्म का जनवाद है । और आपसे क्या छिपाना ! इस जनवाद की स्थापना पहली ही रात हो गई थी । हड़बड़ाहट और घबराहट में मैं कुछ अड़भंगीपन कर बैठा और फिर इसने खींचकर दो तमाचे रसीद कर दिये । फिर क्या था! मैंने भी दो-तीन मुक्के जमाये । फिर जो युद्ध शुरू हुआ तो क़रीब आधे घण्टे तक चला । फिर युद्ध-विराम के बाद मैत्री-सम्बन्ध भी बहाल हो गया । अब यहाँ जनवाद के साथ ही शक्ति-संतुलन भी बना रहता है ! 

तबतक पत्नी चाय-पकौड़े के साथ पति के लिए पेनकिलर टैबलेट लेकर आ गयीं और हमलोग देश-दुनिया की बातों में मशगूल हो गये ।

(22 Jan 2021)

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