Saturday, September 19, 2020

मैं बड़ों को सम्मान देती हूँ, उनका ख़याल रखती हूँ, पर पूजा-श्रद्धा में मेरा कोई यक़ीन नहीं है । आप को उम्र के लिए कोई कन्सेशन-कमीशन नहीं मिलेगा उसूली बातों पर तर्क-वितर्क में! ग़लत बात करने पर उग्र प्रतिवाद सुनना पड़ेगा आपको! अगर आपने मेरी कोई राजनीतिक मदद की है तो अपने उसूलों के तहत ही की होगी, मेरे ऊपर व्यक्तिगत अहसान सोचकर तो किया नहीं होगा। अतः ऐसी किसी मदद के बदले आपको उसूली मामलों में छूट की उम्मीद तो करनी नहीं चाहिए । और अगर आपने मेरे ऊपर कोई व्यक्तिगत अहसान भी किया हो तो मैं आपके घर आकर झाड़ू-पोंचा, बर्तन-बासन, चूल्हा-चौका कर दूँगी, बीमारी में तीमारदारी कर दूँगी,  पर आपके किसी "अहसान" के बदले मैं अपने वैचारिक-राजनीतिक स्टैंड को तो ढीला नहीं कर सकती। निजी या सार्वजनिक -- जीवन के दोनों क्षेत्रों में जो 'प्रैग्मेटिस्ट' (व्यवहारवादी) और उदारतावादी लोग होते हैं वे अगर तुरंत नहीं तो कालान्तर में अवसरवादी और अनैतिक ज़रूर बन जाते हैं। बेशक सामान्य व्यावहारिक मामलों में लचीला और दैनंदिन जीवन में विनम्र होना चाहिए, लेकिन उसूली मामलों में एकदम अनम्य होना चाहिए और उसकी हर क़ीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए । मैं तैयार रहती हूँ !

(19 Sep 2020)

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