ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं फट स्वाहा
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे नमः
नमः स्वाहा स्वधा वषट वौषट हुम् फट
ॐ नमो भागवत रुद्राय, ओम नमो कालभैरव नमः, ॐ नमो काली कंकाली महाकाली !
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भक्त जनो ! हमारी हाकिनी-डाकिनी-भूतनी-महापिशाचिनी हर्षोन्मत्त हो रही हैं !
शीघ्र, अतिशीघ्र एक लोटा घुमाया जाने वाला है !
इस लोटे को भी भारत की सभी पवित्र नदियों में प्रवाहित किया जाएगा !
सभी नदियाँ अपनी पवित्रता को बचाने के लिए रात्रि काल में इन लोटों को बाहर उगल देंगी क्योंकि इनमें एक परम पामर पतित पापी हत्यारे की अस्थियाँ होंगीं !
इन लोटों से हर रात्रि में समस्त हाकिनियाँ-डाकिनियाँ-भूतनियाँ-महापिशाचिनियाँ श्मशानों में कंदुक-क्रीड़ा करेंगी और खोंपडियों में रक्त और मदिरा पीते हुए विलास करेंगी !
भक्त जनों ! एक हत्यारे का स्थान कोई दूसरा हत्यारा ले लेगा, लेकिन एक पाप और अन्याय भरी दुनिया का भी एक दिन अंत होता ही है ! वह समय निकट नहीं, पर बहुत दूर भी नहीं है ! जब पापियों के फासिस्ट शासन का अंत होगा तो उनका लोटा घुमाने के लिए कोई व्यक्ति खोजे नहीं मिलेगा !
अतः हे भक्त जनो ! मिथ्या धर्म और राष्ट्रवादी अहंकार में पागल होकर फासिस्ट कुपथ पर मत चलो ! न्याय, समता और मनुष्यता के मार्ग का अनुसरण करो ! अन्यथा एक दिन तुम्हारी खोंपडियों से श्मशान में हाकिनियाँ-डाकिनियाँ आदि कंदुक-क्रीड़ा करेंगी !
सावधान भक्तो ! जाग जाओ !
शुभमस्तु ! कल्याणमस्तु !
-- अवधूता महायोगिनी देवि कपाल कुण्डला,
मणिकर्णिका घाट निवासिनी,
वाराणसी .
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