चिलचिलाती गर्मी में सामानों से लदी एक बैलगाड़ी मंथर गति से सड़क पर चली जा रही थी I
रास्ते में एक गाँव पड़ता था जहाँ एक मूर्ख, घमंडी और कटखना कुत्ता रहता था जिससे गाँव के सभी लोग और कुत्ते परेशान रहते थे I
घमंडी कुत्ता तेज़ धूप से बचने के लिए रास्ते से गुजरती गाड़ी के नीचे चलने लगा I कुछ दूर तक चलने के बाद घमंडी कुत्ते को लगने लगा कि सामानों से लदी वह भारी गाड़ी उसी की बदौलत चल रही है I उसे अपनी शक्ति पर खुद ही आश्चर्य हुआ और घमंड से उसकी छाती और फूलकर छप्पन इंच की हो गयी I
अब वह और बेपरवाह होकर,ऐंठकर चलने लगा I फिर वह हाथी की तरह झूमकर चलने की कोशिश करने लगा और बेखयाली में एक बैल के पिछले पैर के पास चला गया I बैल ने उसे ज़ोरदार लात लगाई I दर्द से बिलबिलाता 'कांय-कांय' करता कुत्ता जो छिटका तो सीधे गाड़ी के पहिये के नीचे आ गया I
*
तो श्रोता गण ! हर कथा की व्याख्या की मुझसे आशा न करें ! अब घमंडी कुत्ते और बैलगाड़ी और बैलों आदि के बारे में मुझसे ज्यादा न पूछें और कथा का मर्म खुद ही समझें ! अगर कुछ नहीं समझ में आता है तो महराज, न जाने आप कवन मुलुक के बासी हैं ! या हो सकता है कि अकल घर पर छींके पर टांग आये हों ! जाइए, उसे लेकर आइये !
(16मई, 2020)
No comments:
Post a Comment