Sunday, May 17, 2020

एक और किस्सा सुनिए ! किस्सा पुराना है I संस्कृत के पुराने आचार्य भी सुनाते थे और गाँव के बड़े-बुज़ुर्ग भी I


चिलचिलाती गर्मी में सामानों से लदी एक बैलगाड़ी मंथर गति से सड़क पर चली जा रही थी I

रास्ते में एक गाँव पड़ता था जहाँ एक मूर्ख, घमंडी और कटखना कुत्ता रहता था जिससे गाँव के सभी लोग और कुत्ते परेशान रहते थे I

घमंडी कुत्ता तेज़ धूप से बचने के लिए रास्ते से गुजरती गाड़ी के नीचे चलने लगा I कुछ दूर तक चलने के बाद घमंडी कुत्ते को लगने लगा कि सामानों से लदी वह भारी गाड़ी उसी की बदौलत चल रही है I उसे अपनी शक्ति पर खुद ही आश्चर्य हुआ और घमंड से उसकी छाती और फूलकर छप्पन इंच की हो गयी I

अब वह और बेपरवाह होकर,ऐंठकर चलने लगा I फिर वह हाथी की तरह झूमकर चलने की कोशिश करने लगा और बेखयाली में एक बैल के पिछले पैर के पास चला गया I बैल ने उसे ज़ोरदार लात लगाई I दर्द से बिलबिलाता 'कांय-कांय' करता कुत्ता जो छिटका तो सीधे गाड़ी के पहिये के नीचे आ गया I

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तो श्रोता गण ! हर कथा की व्याख्या की मुझसे आशा न करें ! अब घमंडी कुत्ते और बैलगाड़ी और बैलों आदि के बारे में मुझसे ज्यादा न पूछें और कथा का मर्म खुद ही समझें ! अगर कुछ नहीं समझ में आता है तो महराज, न जाने आप कवन मुलुक के बासी हैं ! या हो सकता है कि अकल घर पर छींके पर टांग आये हों ! जाइए, उसे लेकर आइये !

(16मई, 2020)

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