Thursday, May 28, 2020


बात सिर्फ़ इतनी नहीं है कि महाविपत्ति झेल रहे प्रवासी मज़दूरों तक आप कितनी राहत पहुँचा पाते हैं और कितने मज़दूरों को घर भेजने का इंतज़ाम कर पाते हैं !

हमलोग भी देश के दस-बारह जगहों पर निरंतर राहत कार्य चला रहे हैं ! लेकिन सभी नागरिकों और समूहों द्वारा किये जा रहे राहत कार्य करोड़ों दर-बदर मज़दूरों के लिए वैसे ही हैं जैसे ऊँट के मुँह में जीरा !

असल और बुनियादी बात यह है कि आप राहत-कार्य के मानवीय दायित्व को पूरा करने के साथ ही यह बुनियादी सवाल उठा रहे हैं कि नहीं कि इस महाविपदा के लिए सरकार की नीतियाँ और तुग़लकी फैसले ज़िम्मेदार हैं और यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह सभी मज़दूरों को सुरक्षित घर पहुँचाये I आम प्रवासी मज़दूरों पर टूट पड़े इस ऐतिहासिक कहर के लिए फासिस्ट पागल हत्यारों की सरकार के तुग़लकी फ़रमान ज़िम्मेदार हैं I

अगर आप यह सवाल नहीं उठा रहे हैं कि कोरोना की आपदा के समय भी हत्यारे फासिस्टों की हुकूमत अपने राजनीतिक एजेंडा को लागू करने के लिए काम कर रही है और इन सभी विपत्तियों और मौतों के लिए यह सरकार ज़िम्मेदार है ; तो यह भी तो कहा जा सकता है कि आपके राहत कार्यों के निजी प्रयासों के पीछे आपका कोई निजी राजनीतिक एजेंडा या कोई निजी महत्वाकांक्षा हो सकती है ! जिसके पास करोड़ों खर्च करने की औकात होगी वह हज़ारों मज़दूरों को घर पहुँचा देगा, पर असल सवाल तो यह है कि यह काम सरकार का है ! सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो उसकी आपराधिक लापरवाही पर उंगली उठाने का कलेजे में दम भी होना चाहिए !

यही समय है जब इस महाविपदा के भँवर में फँसे मज़दूरों को यह बताना होगा कि जीने के अधिकार के लिए, स्वास्थ्य और सभी बुनियादी अधिकारों के लिए उन्हें संगठित होकर इस अत्याचारी सत्ता से लोहा लेना होगा ! उनके पास इंसान की तरह ज़िंदा रहने बस एक ही रास्ता है और वह यह है कि वे एकजुट होकर संघर्ष करें !

सिर्फ़ राहत-कार्य तो कई बार मध्य वर्ग के खाते-पीते लोग अपने अपराध-बोध से छुटकारा पाने के लिए भी करते हैं, या फिर, कई बार उनका अपना कोई निजी राजनीतिक एजेंडा भी होता है !

(26मई, 2020)

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